अपने आप को पत्रकार कहने वाले अजीत भारती ने अपने ऑपइंडिया नाम के चैनल से पूरी पत्रकारिता को ही शर्मसार कर दिया है। न सरकार न विपक्ष बल्कि उनका एक पूरा शो पत्रकार रवीश कुमार के खिलाफ चलता है।
Nearly one lakh BSNL employees are eligible for the Voluntary Retirement Scheme (VRS) out of its total staff strength of about 1.50 lakh. BSNL has pegged its internal target for VRS at 80,000 employees, and the effective date of voluntary retirement under the present scheme is January 31, 2020.
No Ambulance for Vashishtha Narayan after his death, UP home guards forced to beg, Run for children in presence of pollution - Social Media पर एक बार फिर कई शर्मनाक घटनाएं सामने आई है. Shame of the week में हम बता रहे हैं वो घटनाएँ।
Install Molitics Android App: https://molitics.app.link/1veztabf8W
Like Molitics on Facebook: https://www.facebook.com/Molitics/
Follow Molitics on Twitter: https://twitter.com/moliticsindia
JNU प्रशासन के द्वारा बढ़ाई गई फीस को लेकर JNU Students आंदोलन कर रहे हैं। फैसला वापिस लेने का बयान तो आया है लेकिन आंदोलन अब बी जारी है पूर्ववर्ती व्यवस्था के लिए।
Ram Mandir पर Supreme Court का Verdict बहुप्रतीक्षित है। राम मंदिर भारतीय राजनीति में एक मुख्य विवाद के रूप में काबिज रहा है। Delhi के Hindu और Muslims का इस मुद्दे पर क्या कहना है, हमारी टीम ने पड़ताल की।
हमारा समाज जो मर्द और औरत से बना है, उसमे एक तीसरा वर्ग भी है जिसे हम किन्नर के नाम से जानते है। इनकी दिल की आवाज़ कोई नहीं सुनता है क्योंकि समाज और परिवार इन्हें कलंक समझता है। Molitics की टीम ने इनसे बात की और जाना कि ये कैसे समाज के भेदभाव से लड़कर आगे बढ़ते है।
भारत को खेल में पदक दिलवाने वाले खिलाड़ी उत्तर प्रदेश में आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के चलते खेल से कदम पीछे लेने पर मजबूर हैं।
Molitics की टीम ने बात करी ऐसी ही दो बहनों दीक्षा और मनीषा से जिन्होंने Powerlifting में भारत को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक दिलवाये है। लेकिन आज अपनी परेशानियों और कर्ज़े के चलते न तो वह कॉमनवेल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व कर पाए और आने वाले समय में उन्हें कहीं से कोई उम्मीद भी नज़र नहीं आ रही है।
पिछले कुछ दिनों से स्वाति मालीवाल और दिल्ली के स्पा सेंटर्स काफ़ी चर्चे में हैं। कारण है DCW की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के द्वारा लगातार स्पा सेंटर्स पर मारा जा रहा रेड और सोशल मीडिया पर जमकर किया जा रहा प्रचार। दिल्ली के स्पा सेंटर्स में काम कर रही लड़कियों को सीढ़ी बनाकर छवि निर्माण की कोशिशों में जुटी स्वाति मालीवाल के इस एक्शन ने हज़ारों महिलाओं को लाचार और बेबस कर दिया है। दिल्ली में लगभग 10 हज़ार वैध और अवैध स्पा हैं। इनमें 50 हज़ार से अधिक लड़कियाँ और लगभग 20 हज़ार लड़के काम करते हैं।स्पा सेंटर्स के बंद होने का मतलब हज़ारों लोगों के रोज़गार पर सीधा सीधा हमला होगा।
चुनाव से पहले तो केजरीवाल ने वादा किया था कि ठेकेदारी प्रथा खत्म होगी। लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि अब अरविंद केजरीवाल कैट्स एम्बुलेंस को भ्रष्टाचार आरोपी ठेकेदार को देने के लिए क्यों अड़े हैं? अभी जिस नई कंपनी को ठेका दिया गया है वो कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है।
देखिए कश्मीर मुद्दे पर Shehla Rashid का ख़ास Interview Prashant Kanojia के साथ -- जो कश्मीर में हो रहा वो हिंदुस्तान के कानून के खिलाफ है ! -- नज़र बंद करके सरकार उठती आवाज़ को दबाने का काम कर रही है |
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के कर्मचारी सरकार द्वारा प्रायोजित निगमीकरण की वजह से पिछले 4 दिनों से हड़ताल पर हैं। देश के 41 आयुध कारख़ानों में कोई उत्पादन नहीं हो रहा है।
मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का वैसे ही बुरा हाल है ऐसे में इंदौर आई हॉस्पिटल में हुई ये अमानवीय घटना जिसमे 11 मरीजों ने अपनी आँखे गवाँ दी प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की धज्जियाँ उड़ा देती है। दिसंबर 2010 में भी इस अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था, जिसमें 18 लोगों की रोशनी चली गई थी।उस समय भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया जिसका खामियाजा आज 11 मरीजों को भुगतना पड़ा।
उत्तर प्रदेश में लटकी हैं 69000 शिक्षकों की भर्तियाँ ?
उत्तर प्रदेश 69000 शिक्षकों की भर्तियाँ लटकी हुई हैं। 68500 शिक्षकों की भर्तियाँ भी अभी पूरी नहीं हुई हैं। 23117 पद अब तक खाली हैं जिन पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है। आदित्यनाथ ने खुद कहा था कि राज्य में प्राइमरी 97000 शिक्षकों की कमी है। क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं कि वो भर्तियाँ जल्दी पूरी करे?
खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के तहत ई-पॉश मशीन के ज़रिये कार्ड धारक के अंगूठे से मिलान करके खाद्यान्न दिया जाएगा जिससे सरकार के अनुसार राशन की काला बाजारी काफी हद तक रोकी जा सकती है। लेकिन नेटवर्किंग समस्या के कारण लोगों के लिए ये सुविधा उल्टा जी का जंजाल बनी हुई है।
Automobile Crisis: मारुती सुजुकी ने 3000 अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बाज़ार में बढ़ रही मंदी आम आदमी के लिए परेशानी की वजह बनी हुई है। शेयर बाज़ार पिछले 14 सालों में सबसे ज्यादा मंदी पर है, कंपनियों की सेल में भारी गिरावट है और अगर specifically ऑटोमोबाइल companies की बात करें तो उनकी औसतन सेल में 15-20% गिरावट है।
5 aug को जब पूरा देश कश्मीर की चर्चा में व्यस्त था तब महाराष्ट्र के अकोला में राजमार्ग परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहित किए जाने के बाद मुआवजा मिलने में देरी से तंग आकर जिला कलेक्ट्रेट में पांच किसानों ने जहर खा लिया। ऐसा महाराष्ट्र में पहली बार ही नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र में कर्ज से परेशान किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले चार साल यानि वर्ष 2015 से 2018 तक राज्य में 12,021 किसानों ने आत्महत्या की है।इस साल जनवरी से मार्च तक ही 610 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। ऐसे में राज्य सरकार की योजनाओं पर सवाल उठना लाज़मी है।
जेएनयू प्रशासन द्वारा 48 शिक्षकों के प्रदर्शन को लेकर दिए नोटिस के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन और शिक्षक संघ अब आमने-सामने आ गए है।साथ ही शिक्षक संघ ने जेएनयू प्रशासन पर ये भी आरोप लगाया है कि प्रशासन लगातार आरक्षण नीति के उल्लंघन, जबरन अटेंडेंस पॉलिसी को लागू करने, मनमाने तरीके से विभागों के अध्यक्षों और डीनों की नियुक्ति और उन्हें हटाने, शिक्षकों को परेशान करने जैसे जेएनयू विरोधी कदम उठाता रहा हैं।
दिल्ली में विधानसभा के चुनाव जैसे जैसे नज़दीक आ रहे है वैसे-वैसे राजनितिक पार्टियां जनता को लुभाने की कोशिश में लगी हुई है और इस रेस में सबसे आगे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल नज़र आ रहे है.
केजरीवाल ने पिछली बार चुनाव से पहले मुफ्त पानी का तोहफा दिल्ली के लोगों को दिया था और लोगों ने रिटर्न गिफ्ट में दिल्ली की सत्ता उन्हें सौंप दी. एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल अपना पुराना दाव खेल रहे हैं।
फिर से केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को लुभाने के लिए कुछ ऐलान किये हैं। आइये नज़र डालते हैं कुछ मुख्य घोषणाओं पर
Ravish Kumar को 2019 का Ramon Magsaysay Award मिला है। पूरे दिन Twitter और Facebook पर रवीश कुमार को मिले इस सम्मान पर चर्चा रही। NDTV के Prannoy Roy और Radhika Roy समेत पत्रकारिता जगत की हस्तियों और आम लोगों ने भी रवीश को बधाई दी।
एनएमसी विधेयक को जहाँ राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है वहीं डॉक्टरों का विरोध अभी तक जारी है। उनका ये मानना है कि एनएमसी बिल राष्ट्रविरोधी, स्वास्थ्य विरोधी और गरीब विरोधी है। इससे स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी।
आम आदमी पार्टी दिल्ली की सभी अनधिकृत कॉलोनियां को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। पर केंद्रीय सरकार ने इल्ज़ाम लगाया है कि आम आदमी पार्टी अनधिकृत कॉलोनियों के नाम पर जनता को धोख़ा दे रही है।इससे क्या अंदाज़ा लगाया जाए कि विकास का हर श्रेय सिर्फ भाजपा को ही चाहिए।
गुडगाँव के सैक्टर 31 में एक बच्ची नाले में गिरकर मर गई। शहर मे हर थोड़ी दूरी पर खुले मैनहोल दिख जाते हैं। सैक्टर्स के अंदर भी बिना ढ़क्कन के मैनहोल बड़ी समस्या हैं। न तो चुने हुए प्रतिनिधि न हीं संबंधित अधिकारी कभी इस मामले में गंभीर दिखते हैं।
मुसलमानों को तोड़ने का प्रयास है Triple Talaq
राज्यसभा में पेश हुए बिल के पक्ष में 99 लोगों ने वोट किया, जबकि 84 लोगों ने इसके विपक्ष में वोट किया।अब विपक्ष के कई नेताओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय को कमजोर करने तथा उसे तोड़ने की नियत से बनाया है, जबकि सत्ताधीशों का कहना है कि इस बिल से मोदी जी देश की मुस्लिम महिलाओं को न्याय देने का काम किया है।
सरकार ने जहाँ UAPA बिल में संशोधन के लिए देश की सुरक्षा का हवाला दिया वही ये भी सोचने का विषय है कि केवल शक के आधार पर किसी को भी हिरासत में लेना कहाँ तक जायज है और अगर सरकार किसी को हिरासत में लेती भी है तो उसका कारण बताने की क्या समयसीमा होगी ?
“केंद्र सरकार मे RTI संशोधन बिल पास कर दिया है जिसके अनुसार सैलरी, भत्ते, सेवा की शर्तें और कार्यकाल केंद्र सरकार के अधीन होगा। ये संशोधन पारदरिशिता के कानून को हिला कर रख देगा। मोदी जी, ये संशोधन दर्शाता है कि आप लोकशाही की जगह तानाशाही में विश्वास करते हैं।
”सबसे पहले आपको ये बताएँ RTI है क्या? एक समय जब CBI, Election Commission और न्यायपालिका जैसे संस्थानों की स्वतंत्रता लगातार खतरे में दिख रही थी, RTI - आम लोगों के लिए सूचनाओं का बड़ा हथियार माना जा रहा था।नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा पैसे किस बैंक में जमा हुए, कॉमनवेल्थ घोटाले से लेकर कोयला घोटाला, राशन घोटाला, 2G - घोटाला आदि न जाने कितने ही घोटालों का पर्दाफ़ाश RTI ने किया।
ख़ैर सरकार ने सूचना का अधिकार संशोधन बिल पास कर दिया है। विपक्ष के आरोप हैं कि सरकार RTI को कमज़ोर करना चाहती है क्योंकि ये भ्रष्टाचारियों से मिली हुई है। सरकार ने इस बात को खारिज किया है। कहती है - सरकार सरलीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। चलिए जानते हैं कि RTI संशोधन है क्या -ओरीजिनल
RTI बिल के अनुसार -
1. मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 साल का होता। और अधिकतम उम्र 65 साल की होगी। संशोधन के हिसाब से कार्यकाल के बारे में के बारे में कोई भी फैसला केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होगी।
2. पहले के बिल के हिसाब से सूचना आयोग के सदस्यों की सैलरी और सेवा की शर्तें चुनाव आयोग के सदस्यों के समान होती थी। लेकिन संशोधन के जरिए भत्ते और वेतन के बारे में निर्णय केंद्र सरकार ने अपने अंदर ले लिया है।सरकार ने ये दलील दी है कि चुनाव आयोग और सूचना आयोगों की कार्यप्रणालियां 'एकदम भिन्न' हैं. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है सूचना आयोग एक कानूनी निकाय है।लेकिन सरकार यह भूल गई कि फ्री स्पीच और निष्पक्ष चुनाव संविधान के लक्ष्य हैं और चुनाव आयोग और सूचना आयोग इस लक्ष्य को पाने के लिए ज़रूरी संस्थान हैं।
2013 से 2018 तक भारत के केंद्रीय सूचना आयुक्त रह चुके प्रोफेसर श्रीधर आचार्युलू कहते हैं कि यह संशोधन सूचना आयोग को सरकार के अधीन ला देगा. उनके मुताबिक, इसके खतरनाक परिणाम होंगे.अप्रैल 1996 में राजस्थान के बियावर में कुछ लोग इकट्ठा हुए। SDM ऑफिस तक गए और आंदोलन किया। उन्होंने नारा लगाया था - हमारा पैसा - हमारा हिसाब। अंततः इसी तरह के आंदोलन का परिणाम था RTI एक्ट। सरकार के इस संशोधन से भ्रष्टचार के खिलाफ और निष्पक्षता के लिए सड़क पर हो रहे तमाम आंदोलनों को कुचल दिया है।
4 जून 2017-उन्नाव में एक लड़की का बलात्कार होता है। बलात्कार के आरोप उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगते हैं। पीड़िता पुलिस के पास जाती है। लेकिन नेता के रसूख़ के सामने पुलिस की कार्यवाही मंद पड़ जाती है।
असंतुष्ट होकर रेप पीड़िता 8 अप्रैल 2018 को सीएम आदित्यनाथ के घर के बाहर खुद को जला लेने की कोशिश करती है। 9 अप्रैल को न्यायिक हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत हो जाती है। कुलदीप सेंगर के भाई पर आरोप लगता है कि उसने जुडिशियल कस्टडी में पीड़िता के पिता की पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई। विरोध बढ़ता है। विशेष जाँच दल गठित की जाती है। जाँच दल रिपोर्ट सौंपती है। रिपोर्ट में बताया जाता है कि स्थानीय पुलिस और डॉक्टर्स ने कई बड़ी लापरवाहियाँ की।
मामला सीबीआई को सौंप दिया जाता है। CBI, कुलदीप सेंगर और उसके भाई के खिलाफ चार्जशीट दर्ज करती है। अगस्त 2018 में बलात्कार के की-विटनेस की मौत हो जाती है। बिना ऑटॉप्सी के उसकी लाश ज़मीन में गाड़ दी जाती है। 21 नवंबर 2018 को पीड़िता के चाचा को 18 साल पुरानी गन फायरिंग केस में अरेस्ट किया जाता है।
अब 28 जुलाई 2019 को पीड़िता के कार को एक ट्रक टक्कर मार देती है। दो परिजन मर जाते हैं। पीड़िता बुरी तरह से घायल हो जाती है। जिस ट्रक से एक्सीडेंट हुआ है, उसका नंबर प्लेट काले पेंट से लिपा हुआ है। अफसोस यह है कि ये कहानी बॉलीवुड के किसी थ्रिलर फिल्म की नहीं है। ये कहानी है उत्तर प्रदेश की एक लड़की की। जिसे नौकरी देने के नाम पर बलात्कार किया गया। और फिर लगभग पूरे परिवार पर शिकंजा कस लिया गया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सरकार बीजेपी की है और 403 में से 312 विधायक बीजेपी के हैं। कुल 143 विधायकों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज़ हैं। इन 143 विधायकों में से 114 विधायक बीजेपी के हैं। मतलब बीजेपी के चुने हुए 37 प्रतिशत विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि से हैं। वहीं अगर बात गंभीर आपराधिक मामलों की हो, तो कुल 107 विधायक और बीजेपी के 86 विधायक इस पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं।
मतलब साफ है, उत्तर प्रदेश की विधानसभा में केवल नेता नहीं बल्कि नामी गुण्डे और अपराधी भी चुनकर जाते हैं। इसकी जिम्मेदारी जनता पर है। लेकिन जब जानकारियों का मुख्य स्तंभ मीडिया पक्षपाती हो जाए तो जनता कहाँ से जानकारियाँ हासिल करेगी? धनबल और बाहुबल के आगे बेबस लोगों को गोदी मीडिया और कमज़ोर कर रहा है।
"जो न बोले जय श्री राम, भेज दो उसको कब्रस्तान" जैसे गाने मुसलमानों के ख़िलाफ़ समाज में जहर भर रहे हैं। विवादित गाना गाने वाले गायक वरुण बहार का जुड़ाव बजरंग दल से है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई गाने मौजूद हैं जो सीधे तौर पर मुसलमानों की हत्या करने की वकालत कर रहे हैं। आख़िर कब तक सत्ता के संरक्षण में ऐसे डिजिटल आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाएगा
हाल ही में सुर्ख़ियों में सम्प्रदायिकता का खूब बोल बाला रहा, पहले एक खबर आई जिसमे कम्युनल सर्विस के नज़रिये से रांची के जज महोदय को हिन्दू लड़की को कुरान बांटने का फैसला सुनाना भारी पड़ा और उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा। सम्प्रदायिकता के भाव को कम करने की कोशिश में ऐसा फैसला देना जज साहब की गलती बताई गयी लेकिन उसके तुरंत बाद ही बिहार से आई खबरों ने सम्प्रदियकता से बढ़ते खतरों का प्रमाण दे दिया।
पहली खबर थी कि बिहार के सारन जिले से, जहाँ तीन अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भैंस चुराने के आरोप में भीड़ ने इतना मारा कि उन्होंने दम तोड़ दिया। दूसरी खबर में भी मंदिर में दम्पति को चोरी के शक के चलते प्रताड़ित किया गया और इतना मारा गया की पति की मौत हो गयी।
जब मॉब लिंचिंग पर सुर्खियां गरमाई तो बिहार के CM ने बड़ी आसानी से कह दिया "लोगों ने भैंस चुराई थी ये लिंचिंग का मामला नहीं है", शायद CM साहब के लिए भी पशु चुराना किसी इंसान की हत्या से ज्यादा बड़ा आरोप है। ऐसी ही वजह से देश में पिछले 5-6 सालों में तक़रीबन 95 मौतें हो चुकी हैं। और आए दिन भीड़तंत्र कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहा है।
पूर्ववर्ती महासचिव सुधाकर रेड्डी के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद तीन दिनों तक चली पार्टी की नेशनल काउन्सिल की बैठक में पार्टी की बागडोर डी राजा को सौंप दी गयी है . कम्युनिस्ट पार्टी को अक्सर यह आलोचना झेलनी पड़ती है कि जाति के प्रश्न को ईमानदारी से संबोधित नहीं करतीं और नेतृत्व के मामले में आज भी उनके यहाँ समाज के कथित ऊंचे तबके के लोगों का दबदबा है.
बीते दिनों में भाजपा के सदस्यता अभियान पर खूब ज़ोर दिया गया और पता चला
की भारतीय जनता पार्टी अपनी मौजूदा सदस्य संख्या 11 करोड़ का 20 प्रतिशत
यानी करीब दो करोड़ 20 लाख नए सदस्य बनाने की तैयारी कर रही है।पर सवाल यह
है की जहॉं पार्टी के पास 11 करोड़ जैसी बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं
वहां ऐसी योजनाओं पर focus क्यों ? आखिर दिया भी क्यों न जाए आखिर देश के
गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के प्लान के मुताबिक भाजपा जहां
जितने वोटों से हालिया चुनाव हारी है, उस प्रत्येक सीट से उतने ही नए सदस्य
जोड़कर बूथ पर जीत पक्की करने की तैयारी है।
जिसके चलते चाहे देश में मोब
लीचिंग्स हो, बेरोज़गारी अपने चर्म पर हो या प्राकृतिक आपदाओं में सरकार की
lack of attention के चलते जाने जाती रहें लेकिन भाजपा का अगले चुनावों
में और भारी जीत के साथ आना पक्का हो जाए। इन्ही कोशिशों के चलते खबर आती
है कि चंदौली से भाजपा विधायक सुशील सिंह ने राजनीति की अजीबो गरीब पाठशाला
शुरू कर दी है जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
असल में
इन दिनों चल रहे भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता अभियान के तहत विधायक ने
एक छात्र को भाजपा की सदस्यता दिलाकर उन्हें राजनीतिक ज्ञान दे डाला और
पार्टी का पटका पहनाकर, उनको शपथ भी दिलाई। बता दें कि पार्टी ने उत्तर
प्रदेश में 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। खास बात यह है कि
विद्यालय में पढ़ाई के बीच में विधायक सुशील सिंह ने सदस्यता अभियान चलाया।
हम आपको बताते चलें की इससे पूर्व भाजपा में शामिल हुए सदस्य अल्पेश
ठाकुर, स्वाति यादव, नीरज शेखावत जैसे नेता भाजपा के मुखर आलोचक थे, भाजपा
ने अपनी राजनितिक चतुराई के चलते अपने आलोचकों को भी पार्टी में जगह दे दी।
अमित शाह के बयान और भाजपा नेताओं के ऐसे कदम उनकी प्राथमिकताओं को साफ़
दर्शाता है। लेकिन चिंता का विषय ये है कि किसी पार्टी का काम से ज्यादा
strategy base पर सशक्तिकरण होना लोकतंत्र के लिए खतरा ना बन जाएं ? और
हिंदुस्तान अपनी पूर्ण स्वतंत्रता खोकर china जैसे said to be Republic
देशों की श्रेणी में ना खड़ा हो जाए?
पिछले कुछ वर्षों में जहाँ एक तरफ भाजपा तेज़ी से आगे बढ़ी है वहीं विपक्ष का कद दिन-ब-दिन घटता चला जा रहा है। कांग्रेस और जनता दल की बदहाली के बाद हाल ही में PTI एजेंसी से खबर आई की चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) को "कारण बताओं नोटिस" जारी करने की तैयारी में है।
चुनाव आयोग का सवाल है की पार्टियां वजह बताएं की उन्हें राष्ट्रीय पार्टी की श्रेणी में क्यों रखा जाए? बीते कुछ सालों और ख़ास कर पिछले लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण इन पार्टियों के राष्ट्रीय पार्टी होने के दर्जे पर खतरा मंडरा रहा है।
मौजूदा वक्त में in total 8 पार्टीज को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है जिसमे ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), बीएसपी, सीपीआई, माकपा, कांग्रेस, एनसीपी और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल शामिल हैं । पर सवाल यह है कि इन गिनी चुनी 8 पार्टीज में से भी TMC, NCP और CPI को कारण बताओ नोटिस क्यों ?
Bihar वालों ने दशक से ज्यादा इन्तेजार किया तो गाना आया 'फिर से एक बार हो, Bihar में फलाने की Government हो' और उसको सुनते ही जनता ने Nitish Kumar को 'फिरसे' कुर्सी थमा दी। सोचिए, सिर्फ Nitish Kumar Title Song गाना सुनकर ही !! हालांकि उनके तथा को भी दाद देनी होगी कि जिस गांव में अस्पताल नही है, जहां खपड़ैल विद्यालय तो है लेकिन शिक्षक नही, खड़ंजा तो बन गयी है लेकिन रास्तों पर रौशनी नहीं, हर हाथ में टच इसक्रीन फ़ोन तो है लेकिन ढंग से बिजली नही, वहां भी बाबू का गाना पहुंचा। मतलब साफ है 'तथा शक्ति' होनी चाहिए।
Ajitesh-Sakshi का विरोध करने वाले Anti-National क्यों नहीं? बेटी घर की इज्ज़त होती है बेटी घर की शान होती है ऐसा आप लोग हर रोज अपने गली मोहल्ले, मेट्रो और हवाई अड्डे पर सुनते होंगे। बेटी को देवी, वीरांगना न जाने क्या क्या तमगों से लैस कर समाज उनका दिन रात शोषण करता है।
बेटी ने अपनी मर्ज़ी से शादी कर लिया तो समाज के ठेकेदार, पत्रकार और नेता आहत होगये की 2019 के भारत में एक औरत कैसा अपना साथी चुन सकती है। जिस देश में हर साल प्रेमी जोड़े सिर्फ इसलिए मार दिए जाते हैं क्योंकि उन्होंने इश्क़ किया और शादी की।
मैनपुरी में एक शादी शुदा जोड़ा मोटरसाइकिल से अपने रिश्तेदारों के घर जा रहा था रास्ते में 3 अज्ञात लोग गाड़ी को रोकते हैं, मिर्च के पाउडर को आंखों में फेकते हैं और पत्नी का अपहरण कर ले जाते हैं पति नज़दीकी बिसवां थाना पहुंचता है और SHO रजनीश पाल गौतम से शिकायत करता है। न्याय देने के बयाज रजनीश और दो कॉन्स्टेबल पीड़ित पति को निर्ममता से पीटते हैं। 5 घंटे बाद महिला पुलिस थाने पहुंचती है और बताती है कि उसके साथ Gangrape हुआ है।
आला अधिकारी हरकत में आते हैं और रजनीश समेत 2 कॉन्स्टेबल को निलंबित कर देते हैं पीड़त जोड़ा दलित समुदाय से है इसलिए उसे न्याय मिलने की संभावना 90% कम हो जाती है। पति ने कुरवाली थाने में गैंगरेप और लूट का मामला दर्ज़ किया और बिसवां SHO पर SC/ST के तहत मामला दर्ज़ किया गया। पुलिस की इस हरकत पर ज़्यादा चौंकिए नहीं क्योंकि वो किसी मंगल ग्रह से नहीं आई बल्कि इसी समाज का हिस्सा है, जो घोर जातिवादी और सांप्रदायिक है।
हमारे देश में आज भी हजारों के तादाद में दलित उत्पीड़न होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में राम राज्य होने के दावा करते हैं, लेकिन इस तरह की घटना से लगता है कि प्रदेश रेप राज्य की स्थापना हो चुकी है।
सपना चौधरी- हरियाणा के खुले मंचों पर सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कलाकारों में से एक हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में इनकी चर्चा सियासत के मैदानों में अधिक हुई है। लोकसभा चुनावों से पहले अटकले आई की सपना कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं, इसके बाद भाजपा नेता अश्विनी कुमार चोपड़ा और सुरेंद्र सिंह ने उनका परिचय दिया था।
अश्विनी कुमार चोपड़ा ने सपना चौधरी को ठुमके लगाने वाली कहा था और भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने उनके काम पर सवाल खड़े कर कहा कि उनका पेशा नाचना, गाना है।उन्होंने राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे आप के पिता स्वर्गीय राजीव गांधी ने सोनिया गांधी को अपना बना लिया, वैसे ही आप भी डांसर सपना चौधरी को अपना बना लें।
पर अब जब वही सपना चौधरी भाजपा के देशव्यापी सदस्यता अभियान से जुड़ने वाली पहली सदस्य हैं तो सब मौन हैं।किसी भी नेता को उनसे कोई शिकायत नहीं।यहाँ सवाल भाजपा नेताओं से है कि क्या अब भी उन्हें सपना चौधरी के नाचने गाने से दिक्कत है ? या केवल क्या भाजपा में सदस्यता ले लेने से सपना को लेकर भाजपा नेताओं की सोच बदल गई है ?
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा सदन में दिए भाषण को ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी ने कॉपी-पेस्ट बताते हुए कहा कि सांसद ने अमरीकी पत्रकार मार्टिन लांगमैन के एक लेख से चुराया है, जिसके बाद मार्टिन ने खुद ट्वीट कर सुधीर चौधरी के आरोपों को ख़ारिज कर दिया। अब इस फ़जीहत पर न तो चौधरी ने माफ़ी मांगी और न चैनल ने। फेसबुक ने भी चैधरी के डीएनए कार्यक्रम को फ़र्ज़ी ख़बर का तमगा दे दिया है।
तारीख थी 28 फरवरी, 1970 की, जब पहली बार किसी महिला ने देश का बजट पेश किया था. इस बजट पर सबकी निगाहें थीं, क्योंकि ये चुनावी बजट होने वाला था. 1971 के मार्च में आम चुनाव होने थे और ऐसे में इंदिरा गांधी सरकार का ये आखिरी बजट था. इसी बजट में इंदिरा गांधी ने वो चर्चित नारा दिया था गरीबी हटाओ, जिसके बाद 1971 में इंदिरा गांधी को आम चुनाव में जीत मिली थी.
चुनावी बजट होने के बावजूद इंदिरा गांधी ने कुछ कड़े फैसले लिए थे. बजट 15 पन्नों का था. # डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स बढ़ाया गया था. प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ा था, इम्पोर्ट ड्यूटी भी बढ़ाई गई थी.
# इन्कम टैक्स बढ़ाया गया था. 40 हजार रुपये सालाना की आमदनी से ऊपर इन्कम टैक्स लगाया गया था.
# सामान्य वेल्थ टैक्स में बढ़ोतरी की गई थी.
# टीवी पर ड्यूटी बढ़ाई गई थी. 20 पर्सेंट लेवी लगा दी गई थी.
# सैलरी वाले लोगों से हर महीने 250 रुपये की कटौती तय की गई थी, जो पहले 5 रुपये ही थी.
# सिगरेट पर ड्यूटी 3 फीसदी से बढ़ाकर 22 फीसदी कर दी गई थी. लेकिन इस दौरान एक बात का ध्यान रखना ज़रूरी है. वो दौर 1970 का था और अब 2019 चल रहा है. बहुत सी चीजें बदल गई हैं. देश में आर्थिक उदारीकरण है और इस लिहाज से निर्मला सीतारमण की तुलना इंदिरा से करना किसी भी हाल में ठीक नहीं होगा.
मुंबई में भीषण बारिश के चलते जल-जीवन अस्त-व्यस्त होगया। कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 35-40 लोगों की मारे जाने की बात सामने आरही है। शिवसेना मुखपत्र ने अपने लेख में कहा कि जब भी ऐसा होता है, तब शिवसेना की आलोचना करना फैशन हो जाता है।
एशिया की सबसे अमीर महानगर पालिका का 30000 करोड़ का बजट क्या मातोश्री की लिपाई-पोताई पर ख़र्च होता है?
113 मुस्लिम बच्चों को ट्रेन से नीचे उतारने की कहानी
113 मुस्लिम बच्चों को ट्रेन से नीचे उतारने की कहानी...
ऐसे कई तरह के सवाल लोग सोशल मीडिया के जरिए जिम्मेदारों से पूछ रहे हैं.
अचानक ऐसे सवालों की बाड़ सोशल मीडिया पर कैसे आ गयी
दरसल मालदा टाउन-आनंद विहार एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे लगभग 113 मदरसा
छात्रों को शनिवार को संदेह के आधार पर बरेली रेलवे स्टेशन पर उतार लिया
गया. जिसके बाद लोगों ने अपना गुस्सा शासन-प्रशासन के खिलाफ सोशल मिडिया पर
कड़े शब्दों में सवालों के भंडार से जाहिर किया.
असल में छात्रों को क्यों ट्रेन से उतरा गया
प्रशसन की माने तो,
आनंद बिहार-मालदा टाउन वीकली ट्रेन में संदिग्ध बच्चों के होने की सूचना
मिली थी। सूचना पर बच्चों को आरपीएफ और जीआरपी द्वारा स्टेशन पर उतारा गया।
पूछताछ में पता चला है कि ये बच्चे अलग अलग मदरसों के है जो छुट्टी के बाद
वापस जा रहे थे।
इनके नाम पता की तस्दीक की जा रही है। बच्चे दिल्ली,
हापुड़, अमरोहा और मुरादाबाद के मदरसे के हैं। वहीँ बच्चों को ले जा रहे
अंसार का कहना है कि ये सब बच्चे अलग अलग मदरसों के है और वापस मदरसे जा
रहे हैं।
पुलिस ने किसी समुदाय को जबरन परेशान या उनके खिलाफ सकती के बात से इंकार
किया है
मेरठ में हिन्दू परिवार पलायन कर रहे हैं. 425 परिवारों में से लगभग 125 परिवार अपना मकान बेचकर पलायन कर चुके है। मुद्दा ज़रा गंभीर नज़र आया, पडताल की तो पता चला कि ये किस्सा है मेरठ शहर के बीच स्थित लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के प्रहलाद नगर का जहाँ के रहने वाले दूसरे समुदाय के लोगों को कम दाम पर मकान बेचकर दूसरी किसी जगह पर जा रहे हैं।
यहां कई मकानों व प्लाट के गेटों पर अभी भी बिकाऊ लिखा हुआ है।और इनमें से अधिकांश मकानों की खरीद-बिक्री बीते पांच-छह वर्ष के भीतर हुई है। इस घटना को स्थानीय भाजपा नेता व बूथ अध्यक्ष भवेश मेहता ने सांप्रदायिक रंगों में रंग दिया। आँख और मुँह बंद किए भोले-बाले लोग नेताओं के इस जाल में फँस भी रहे हैं। लेकिन ज़रूरी है भवेश मेहता जैसे नफ़रत के व्यापारियों की पहचान और सामाजिक रूप से उनका उचित विरोध। source link
हम।रे एक यूजर ने RVY से मुद्दा उठाया हे की मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में करकेली पंचायत में गाँव मानिकपुर में साल 2017 में लगभग 200 मीटर सीसी सड़क और नाली बनाने के लिए 12 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे ।
लेकिन आज तक गाँव में कोई सड़क नहीं दिखी।यह शिकायत जैसे ही ज़िला प्रशासन को दी गई, वहां से इसकी कार्रवाई की कोई तस्वीर सामने नहीं आई मगर सार्वजनिक रूप से रोज़गार सहायक से पता चला कि राशि सरपंच महोदय के पास है।
और जब सरपंच को पता चला की उनकी शिकायत की गयी है तो सरपंच द्वारा लोगो को म।रने की धमकी दी गयी।
इस पंचायत के सरपंच रघुवंशी प्रताप सिंह 45 सालों से सरपंच हैं. जिन्होंने इतने सालो से गाँव की तरक्की के लिए कोई ख़ास कदम नहीं उठाए है। ग्राम सभा में पंच से सवाल पूछने पर भरी सभा में सरपंच महोदय द्वारा डांट कर भगा दिया जाता है। Source Link
देश के सभी प्रमुख मुद्दो पर और सरकार से सवाल करने प्रशांत कनौजिया अब आ रहे हैं मोलिटिक्स पर, जहाँ सत्ता की तारीफ़ नहीं बल्कि सत्ता से तीखे सवाल पूछे जाएगें और सत्ता पर होगी सवालों की बमबारी।
क्या Jioकी वजह से BSNL पंहुचा घाटे में -जानिए सच्चाई
BSNL जिसका टैगलाइन था - कनैक्टिंग इंडिया वो इस तरह टूटेगा शायद ही किसी ने सोचा था। 3G तक की प्रतिस्पर्धा में ठीक ठाक बनी रही BSNL 4G के दौर में मरणासन्न हो गई है। नौबत ये है कि 1 लाख 76 हज़ार कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए BSNL के पास पैसा नहीं है।
सरकार के आगे हाथ पसारे BSNL कैश देने की गुहार लगा रही है।आखिर क्या कारण है कि 2000-2009 तक लगातार फ़ायदे में रही ये संस्था साल-दर-साल नुकसान झेलने लगी। लाखों युवा जिस नौकरी के सपने देखते हैं, आख़िर क्यों वहाँ के कर्मचारी बहाने पर मजबूर हैं? दरअसल सारा खेल शुरू होता है 2007-08 से। BSNL को 2600 MHz फ्रीक्वेंसी पर BWA (Broadband Wireless Access) मिला।2010 में सरकार ने 4G नेटवर्क के लिए नीलामी शुरू की। ये नीलामी 2300 MHz फ्रीक्वेंसी के लिए की गई। इसके बाद एयरटेल ने 2012 में LTE Network पर 4G सेवाएँ शुरू की।
BSNL ने सरकार को कहा कि उसे मिली 2600 MHz फ्रीक्वेंसी पर LTE Network के ज़रिए काम नहीं हो पाएगा। BSNL 2011 के बाद से 2600 MHz फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम वापिस कर रिफंड का गुहार करने लगी।
सरकार ने 2014 में BSNL को रिफंड दिया। ये रिफंड ऑपरेशनल खर्चों को चलाने के लिए और पहले से मौजूद 2G और 3G को मजबूत करने के लिए दिया गया। लेकिन अब तक टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर बदल चुकी थी।4G के आने के बाद, जियो का लगभग एकछत्र राज्य शुरू हो गया। और साथ ही शुरू हो गया बाकी टेलीकॉम कंपनियों का अवसान।
बाज़ार में BSNL की कुल हिस्सेदारी मात्र 10 फ़ीसदी रह गई है। नीति आयोग ने BSNL को बंद करने का प्रस्ताव दिया लेकिन सरकार ने उसे ख़ारिज़ कर दिया।अब देखना महत्वपूर्ण होगा, कि सरकार अपने इस उपक्रम के बारे में क्या सोच रही है? जियो के प्रचार में मुख्य रूप से दिखने वाले मोदी सरकार का ध्यान उन 1 लाख 76 हज़ार कर्मचारियों की तरफ है, जिनका भविष्य BSNL की ख़स्ता माली हालत के कारण अधर में लटकी है?
हाल ही में शकील अहमद शेख नाम के एक्टिविस्ट द्वारा फाइल की गयी RTI के
जरिये महाराष्ट्र के कई बड़े नेता नगर निगम की ब्लैकलिस्ट में शामिल हो गए।
पर ये नेता ब्लैकलिस्ट क्यों हुए ? जवाब में पता चलता है कि महारष्ट्र के
सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत 18 बड़े नेताओ ने कई सालो से पानी का बिल ही जमा
नहीं किया।
निंदनीय है की जो नेता समाज के आदर्श होने चाहिए वो समाज में
चोरी और सरकारी संपत्ति का दुरूपयोग करने के लिए सुर्खियों में नज़र आ रहे
हैं। और तो और हमारे देश में एक चलन ये भी बन गया है की नेता सरकारी आवासों
पर अनधिकृत कब्जा क्र लेते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में ही 1200 से
ज्यादा सरकारी बंगलों पर अनधिकृत कब्जा है।
ये बंगले सरकारी सुविधा के तहत
कुल आवासों की संख्या के करीब 2 फीसदी हैं। नेताओ द्वारा सरकारी संपत्ति को
इस तरह से उपयोग करना न तो केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है बल्कि
सरकारी बजट को भारी नुक्सान पहुंचा रहा है।