Employment की तलाश में बनी MP. Chandrani Murmu - देश की सबसे युवा सांसद औऱ सबसे कम संपत्ति वाली सांसद। Chandrani Murmu ने Odisha के Kyonjhar से BJD की टिकट पर चुनाव लड़ा और BJP समेत अन्य पार्टियों के कैंडिडेट्स को हराया। know all about 25 year old BJD MP Chandrani Murmu.
ऐसा सोचना ग़लत होगा। दरअसल Payal Tadvi की मौत के पीछे मनुवादी विचारधारा है। जातिगत भेदभावों की वजह से पायल तदवी को आत्महत्या करना पड़ा।इस केस से जुड़े और तथ्य के लिए वीडियो देखें।
उत्तर प्रदेश की राजनीती बड़ी दिलचस्प है. जो नेता कभी मुख्यमंत्री बनने का इंतजार कर रहा था. आज वो हार रहा है. आखिर वो कौन है ?
इसके लिए हमें 2 साला पीछे चलना होगा. उत्तर प्रदेश में भाजप को पूर्ण बहुमत मिलती है. दिल्ली से एक मंत्री बनारस आता है यह खबर लेकर की वो मुख्यमंत्री बनने वाला है. पूजा पाठ में दिलचस्पी वो बनारस में मंदीरों के दर्शन में लग जाता है. फिर एक फोन दिल्ली से आता है "उधर से बोल रहा व्यक्ति कहता है की दिल्ली अभी मत आइए आपकेलिए प्लेन भेजा जाएगा तब तक तैयारी करिए आप"
शोर मच जाता है, तैयारी होने लगती है
और वो नेता बनारस एयरपोर्ट पर इंतजार करता रह जाता है.
दिल्ली से घोषणा किसी और के नाम की हो जाती है.
वो एयरपोर्ट पर इंतजार करने वाला व्यक्ति और कोई नहीं था बल्कि वो तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और मौजूदा समय में अफ़ज़ाल अंसारी से पटखनी खाने वाले मनोज सिन्हा हैं.
PM Modi aur unke antr-rashtriye rishte aksr kisso me rhe hain. 2014 ke baad 2019 me bhi frse modi sarkaar aa gyi hai.
लोकसभा चुनाव में मतगणना के रुझानों में भाजपा ki 'बड़ी' जीत की ओर बढ़ने का zikra करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चीन, जापान और इज़राइल, श्रीलंका समेत कई देशों से बधाई दी गई है।
Poori matganna khtm hone se phle hi bhajpa ne poorn bahumat hasil kr li hai. Tweets ki shuruwat hui Pm ke tweet se,sbka sath + sabka vikas= vijayi bharat ke sath Aur uske baad badhaiyo ka karyakrm, sbse phle PM ko badhai di russia ke PM Putin ne; jinhone kha Uske baad afghanistan se Ashraf Ghani aur fr kadi me rhe Nepal aur Japan ke PM..
गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भाजपा को अकेले 282 सीटें हासिल हुई थी aur is baar usse kai jada. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सबसे अनोखे तरीके से हिन्दी में ट्वीट कर मोदी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा “मेरे दोस्त नरेंद्र मोदी आपकी प्रभावशाली चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई! ये चुनावी नतीजे एक बार फिर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आपके नेतृत्व को साबित करते हैं। हम साथ मिलकर भारत और इज़राइल के बीच घनिष्ठ मित्रता को मजबूत करना जारी रखेंगे।”
Aaj din bhr party karyakartaon ka jashn dekh kuch yun lga ki ek baar fr poora desh bhagwa rang me beh sa gya ho. 2014 se jada mat hasil kr Bhajpa ne ek aur aitihaasik jeet hasil krli hai.Chunavi ganit me dekha to BJP poorn bahumat se aai aur opposition ka patta saaf hota dikha aur Modi magic ek baar fr logo ke sr chadkr bola.Sirf jeet hi nahi, Delhi, HImachal, haryana aur Madhya pradesh jaise kshetro me samast seats bhajpa ne jeeti. Delhi se ek baar fr Aam aadmi party ka soopra saaf ho gya. Amethi aur Raibareli jaisi seats jhn hmesha congress haavi rhi hai whn bhi congress party apne astitv ki ldai ldti nazar aai.
आम आदमी पार्टी के नेता आज दिल्ली के वोटर्स से शायद यही कह रहे होंगे। पिछले पाँच साल दिल्ली की सियासत के सबसे ड्रामेटिक पाँच साल रहे। पहले 49 दिनों की सरकार, फिर रिज़ाइन फिर से चुनाव और फिर लिखा गया इतिहास। आप ने 67 सीटें हासिल कर ली। 70 में से 67। कांग्रेस शून्य पर पहुँच गई। लेकिन पाँच सालों के अंदर ही बीजेपी और कांग्रेस को दिल्ली से बाहर कर देने वाली आप जनाधार के मामले में लगभग शून्य पर आ गई।
2014 के चुनावों में सातों सीट पर आप के सांसद उम्मीदवार दूसरे पोज़ीशन पर थे। लेकिन इन चुनावों में गुग्गन सिंह और राघव चड्ढा के अलावा कोई और दूसरे पोज़ीशन के लिए लड़ता भी नहीं दिख रहा। दिल्ली के लोगों ने आप को छज्जे पर बिठाकर गिरा दिया। चाहे वो आतिशी हों या दिलीप पांडे या कोई और ट्विटर की लोकप्रियता पोलिंग बूथ तक नहीं पहुँचा पाए।
लेकिन इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार खुद केजरीवाल ही हैं। छवि थी उनकी नायक फिल्म के अनिल कपूर वाली, जो सवाल करता था आँखों में आँखें डाल कर। लेकिन धीरे-धीरे नायक का अनिल कपूर की छवि रखने वाले अरविंद इंकलाब के अमिताभ बन गए। अरविंद बेबस दिखे। उंगली उठाने वाले अरविंद के हाथ जुड़ गए। सवाल उठाने वाले होंठों पर माफ़ी आ गई। और जिनको कभी भ्रष्ट कहा उनसे गले मिलने को बेताब दिखने लगे।
लोगों ने जिसे हकीकत समझा वो ख़्वाब लगने लगा। अरविंद जो नई राजनीति का वादा कर रहे थे, पारंपरिक राजनीति के पचड़ों में उलझते दिखे। वैकल्पिक राजनीति के नाम पर वो भी मुस्लिम वोट, बनिया वोट, दलित वोट आदि आलाप करने लगे। नतीज़ - विश्वसनीयता खो दी। और धीरे धीरे जनाधार भी खो रहे हैं। इन लोकसभा चुनावों में वोटशेयर के मामले में दिल्ली में आप का तीसरे नंबर पर आना लगभग तय है। ये हार केवल चुनावी हैर नहीं आप के अस्तित्व की हार साबित हो सकती है। source link
Lok Sabha Election 2019 को कवर करती हुई Team Molitics पहुँच गई Haryana. करनाल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत घरौण्डा हल्के में लोगों का भरोसा कांग्रेस में अधिक मजबूत दिखता है।
लोगों का कहना है कि अगर उम्मीदवारों की बात करें तो संजय भाटिया, कुलदीप शर्मा के आगे कहीं नहीं ठहरते लेकिन मोदी का नाम भाजपा के पक्ष में जा सकता है। जिस तरीके से राष्ट्रवाद की आड़ में लोगों को देशद्रोही बताकर बार बार पाकिस्तान भेजे जाने के बयान सामने आते हैं, उससे लोगों में भारी गुस्सा दिख रहा है।
क्यों उज्ज्वला की चमक सिर्फ सरकारी दस्तावेज़ों तक ही सीमित है ?
उज्ज्वला योजना जिसके चलते सिलेंडर के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है उसके लांच के बाद से कैलेंडर की कीमत घटने की जगह बढ़ती ही जा रही है। उज्ज्वला के बाद से सिलेंडर कनेक्शंस में तो 16.26% बढ़ौतरी हुई है लेकिन इस्तेमाल केवल 9.83% ही हुआ है। सिर्फ इतना ही नहीं जहां एक परिवार साल में औसतन 6.27 सिलेंडर का प्रयोग करता था वह अब घटकर 5.6 पर पहुंच गया है।
मौजूदा लोकसभा चुनावों का सफर आधे से ज़्यादा पूरा हो चूका है , 12 मई को 7 राज्यों में 59 सीटों के छठे चरण में वोट डाले जाएगें। बिहार के 8, हरियणा के 10, झारखण्ड के 4 ,मध्यप्रदेश के 8, दिल्ली के 7, उत्तरप्रदेश के 14, और पश्चिम बंगाल के 8 सीटों पर वोट डाले जाएंगे ।
लेकिन तमाम पार्टियां आपके सामने कैसे विल्कप रख रही है ये हम आपको बताएंगे कि कौन kitna मालामाल है ? किसके हाथ खून से रंगे हुए हैं ?
(Association for democratic reforms) ने लोक सभा के छठे चरण में चुनाव लड़ने वाले 979 में से 967 उम्मीदवारों के affedevit का analysis किया। सभी 967 उम्मीदवारों में से 174 national party से है, 64 state parties से है , 422 registered and unrecognized पार्टी से है और isme 307 ऐसे है जो की independent चुनाव लड़ रहे हैं ।
"और 12 के एफेडेविट स्पष्ट न होने के कारण उनका एनालिसिस नहीं किया गया।"
गाय माता पुकार रहीं हैं "कहाँ हो मनोहर लाल"
मेरे कुछ कहने के पहले ये कुछ तस्वीरें देखिए, तस्वीर जो चिल्ला चिल्ला कह
रही हैं की एक बार गुमनाम विकास और गोत्र के नाम पर वोट दे देना लेकिन भूख
से मर रही गायों और अध मरे हालत में कुत्तों के हवाले क्र दिए जाने वाली
गायों के नाम पर वोट मत करना.गौमाता भूखी मरे, श्वान खाय मधुपर्कइन्हीं
दोहे के दम पर राजनीति को एक नई दिशा दी गयी और वो बटोरने की कवायद शुरू की
गयी.
पंक्ति में सबसे आगे भाजपा और
उसके समर्थक दिखे. एक बार को लगा की आवारा गायों को छत मिल जाएगा और हालत
सुधर जाएंगे लेकिन हुआ वही, ऊँचे चौखट वालों ने जिनको माँ का दर्जा दिया वो
सिर्फ वोट के गिनती तक ही रह गए. फिर वो गंगा हो या गौ माताऔर बाद में
हालत ये तक आ गए की गौरक्षा के नाम पर लोगों को मौत के घाट तक उतारा जाने
लगा. जिसको "lynching" शब्द से नवाजा जाता है.
Reuters के रिपोर्ट के अनुसार देश में 2014 से 2017 के अंतराल में करीब 28
नागरिकों को लिंचिंग के तहत जान गवानी पड़े और 124 लोग घायल हुए. हालाँकि
ये मामले गौरक्षकों से जुड़ा था, तो राजनीति से जुड़ना संभव था. शायद इसलिए
ही reuters ने अपने रिपोर्ट में ये तक मेंशन किया की जिन 28 लोगों की मौत
हुई उनमें 24 मुसलमान थे.
जिस गौ माता के लिए इतनी बलि दी गयी आज उन्हीं गौ माता का हाल ये है की
"गौशाला" में चारा ख़तम है दैनिक भास्कर ने ये खबर निकाल कर मुख्यमंत्री
साहब के चौखट तक पहुंचाया फिर भी कोई नहीं जगाफिर खबर आयी की भूख के कारण 3
गायों के कारण की मौत हो गयी उसे भी नजरअंदाज कर दिया गयाफिर खबर आयी 7
गाय फिर मर गए और कुछ को अध मरा ही, कुत्तों के हवाले कर दिया गया इतना सब
होता रहा लेकिन खटट्र साहब के चश्मे में ये तस्वीर धुंधली सी दिखी,बेजुबान
गौ माता, जिन्हे हिन्दू धर्म में पुंजा जाता है उन्हें कुत्तों के सहारे
छोड़ दिया गयाआखिर दफनाते भी कैसे ?बात धर्म की जो आ जाती
source: https://www.molitics.in/