Monday, April 12, 2021

Kiran Negi Gang Rape Case: 10 साल बाद भी इंसाफ का इंतजार, 2014 में सुनाई जा चुकी है फांसी की सजा

 9 फरवरी 2012 को किरण नेगी गैंगरेप मामले में आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट 2014 में फांसी की सजा सुना चुका है लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में आज तक लटका हुआ है. किरण के साथ जो बर्बता की गई वो लिखने में भी हाथ कांपते हैं आंखों में तेजाब डाल दिया गया, उसके नाजुक अंगों में शराब की बोलत मिली थी. पाना गरम करके उसके शरीर को दाग दिए गए थे. इस मामले को लेकर परिवार का कहना है, यह केस मीडिया की सुर्खियां नहीं बनी इसलिए आज तक इंसाफ नहीं हुआ है, इस देश का कानून गरीब लोगों की नहीं सुनता है अगर किरण किसी रसूखदार की बेटी होती तो आज तक इंसाफ मिल चुका होता. परिवार को न्याय की उम्मीद तो है लेकिन कब होगा इसका कोई पता नहीं.

 


 On 9 February 2012, the accused in the Kiran Negi gang rape case had been sentenced to death in the Delhi High Court 2014, but the case is still pending in the Supreme Court. The barbarism that was done to Kiran also makes him tremble in writing, acid was put in his eyes, alcohol was found in his delicate organs. Pana was stained by heating her body. Regarding this matter, the family says, this case did not make headlines in the media, so justice has not been done till date, the law of this country does not listen to poor people, if Kiran had been the daughter of a influential person, she would have got justice today. The family hopes for justice, but there is no idea when it will happen. #KiranNegiRapeCase #KiranNegi

बिना Vaccines के Vaccination festival | India exported 41% Corona Vaccines | Tika Utsav

 बिना Vaccines के Vaccination festival India exported 41% vaccines while most of the Indian states are facing shortage of Corona vaccine doses. Many states are lacking the stock of coronavirus but indian government has exported almost 41% total doses of Covid vaccine. हमारे उत्सवधर्मी देश भारत में एक नए उत्सव की तैयारियाँ चल रही हैं। चुनाव उत्सव लगभग ख़त्म होने को हैं और नया उत्सव आने को है। ये उत्सव है - टीका उत्सव। क्रिएटिव नाम और इवेंट मैनेजमेंट की दक्षता के बल पर सरकार फिर से सुर्खियाँ बनाएगी। हालाँकि अब ये बात लगभग सब जान चुके हैं कि कोरोना के ख़तरे को कम करने के लिए इवेंट नहीं बल्कि तैयारियों की ज़रूरत है। न तो ताली थाली बजाने से और न ही दिया जलाने से कोरोना भाग पाया। न तो रामदेव का कोरोनिल और न ही प्रशासनिक अधिकारी का गंगाजल इसके ख़तरे को कम कर पाया। कोरोना के बारे में विशेषज्ञ राय भी हर बार ग़लत ही साबित हुए। कोरोना गर्मी में कम होगा, ठंड में कम हो जाएगा, वैक्सीन लगने के बाद नहीं होगा, एक बार संक्रमित होने के बाद नहीं होगा, युवाओं को ख़तरा नहीं होगा जैसी तमाम बातें झूठी साबित हुईं है। दो गज दूरी-मास्क है ज़रूरी को सबके कानों में डाल देने वाले अमिताभ कोरोना से नहीं बच पाए तो इम्युनिटी बूस्टर च्यवनप्राश का विज्ञापन करने वाले अक्षय कुमार भी कोरोना संक्रमित हुए थे। नेताओं, अभिनेताओं, सेलीब्रिटीज़ की एक लंबी क़तार कोरोना की ज़द में आई। इसका मतलब क्या है? मतलब ये है कि बेहतरीन से बेहतरीन लाइफ़स्टाइल भी आपको कोरोना के ख़तरे से बचा नहीं सकता। स्पष्ट है कि कोरोना से लड़ने के तमाम फॉर्म्यूले नाकाफ़ी साबित हुए हैं। लोगों का दोबारा संक्रमित होना ये साबित करते है कि कोरोना के ख़तरे को मिनीमाइज़ किया जा सकता है, कम नहीं। ऐसी स्थिति में सरकार की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। लोगों के बीच पैनिक क्रिएट न हो, ज़रूरी चीज़ों की उपलब्धता बाधित न हो, ऐसे कदम न उठाएँ जाएँ जिससे कोरोना के साथ-साथ लोग अन्य दिक्कतों में भी फँस जाएँ। पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन का लागू करना, मार्च के महीने तक ज़रूरी मेडिकल इक्विपमेंट्स का निर्यात करना, वैज्ञानिक और तकनीकी आधार पर कोरोना से लड़ने की कोशिश की जगह संवेदनाओं और इवेंट्स का सहारा लेना, एक समूह विशेष को दोषी साबित कर देने की कोशिश करना, और धार्मिक आयोजनों के ख़िलाफ़ सख़्त न हो पाना ऐसे ही कदम था। दुर्भाग्य ये है कि साल बीत जाने के बाद भी ऐसे कदमों में कोई कमी नहीं आई है। पिछले साल मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की कोशिशें कोरोना से लड़ने की तैयारियों पर भारी पड़ी तो इस साल पाँच राज्यों के चुनाव कोरोना से ज़्यादा महत्वपूर्ण रहे। पिछले साल तबलीगी जमात को दोषी बनाया गया तो इस बार मास्क न लगाने वालों के साथ अपराधियों जैसा सलूक हो रहा है। लोगों के बीच लॉकडाउन लगाए जाने का ख़ॉौफ फैला हुआ है, जिस कारण अफ़रा तफ़री में रेलगाड़ियों में भीड़ बढ़ गई है। पिछले साल कोरोना के दौरान कहीं कहीं पर दबे-छिपे धार्मिक आयोजन हुए तो इस बार हरिद्वार कुंभ ज़ोरों-शोरों से चल रहा है। पिछले साल संक्रमण के उफान में आने से पूर्व तक मेडिकल इक्विपमेंट्स का निर्यात हुआ तो इस साल वैक्सीन्स का निर्यात खूब हो रहा है। भारत ने वैक्सीन के कुल डोज़ेज का 59 फ़ीसदी देश के अंदर प्रयोग किया तो 41 फीसदी का निर्यात कर दिया। विदेश मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक़ वैक्सीन मैत्री के तहत भारत ने लगभग साढ़े 6 करोड़ टीकों का निर्यात किया है। 1.04 करोड़ टीके अनुदान के तौर पर, 3.57 करोड़ टीके व्यापरिक आधार पर और 1.82 करोड़ टीके संयुक्त राष्ट्र के कोवैक्स इनीशिएटिव के तहत निर्यात किए गए हैं। विश्व के लगभग 84 देशों ने भारत द्वारा निर्मित टीके प्राप्त किए हैं। विश्व के अन्य देशों की भारत के उपर यह निर्भरता इस एक तथ्य से स्पष्ट होती है।

 


 

 इन हालात के बीच यह जानना ज़रूरी है कि महाराष्ट्र जहाँ फिलाहल भारत के कुल सक्रिय कोरोना केसेज के 65 प्रतिशत मामले हैं, में टीके की भारी कमी है। TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई ज़िलों में टकाकरण, टीके की अनुपलब्धता के कारण बंद हो गई है। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल में भी टीके के डोजेज समाप्त होने के कगार पर हैं। दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि राज्य सरकार औऱ केंद्र सरकार को जहाँ सहयोग के साथ काम करना चाहिए था, वहाँ आपसी मतभेद की स्थिति खड़ी हो गई है। आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। इससे भी अधिक गंभीर स्थिति ये है कि कोरोना के मामले सार्वकालिक सर्वोच्च स्तर पर पहुँच रहे हैं और एक बार फिर अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी दिख रही है। निजी अस्पताल आपदा में अवसर तलाश चुके हैं। सरकार इवेंटबाज़ी से बाज़ नहीं आ रही। लोगों में विश्वास पैदा नहीं किया जा रहा है। अगर ख़तरे का हल न निकला तो इस बार समस्या और भी अधिक भयावह और क्रूर हो सकती है। #CoronaVaccine #TikaUtsav

Monday, April 5, 2021

Chhattisgarh Bijapur Naxal attack: क्या Prashant Kishore को CRPF पर हमले के बारे में पता था?

 Chhattisgarh के Bijapur में Naxal Attack में सीआरपीएफ के 24 जवानों की मौत हुई। जिस वक्त ये हमला हो रहा था उस वक्त गृह मंत्री अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी असम एवं बंगाल में चुनाव प्रचार कर रहे थे। प्रशांत किशोर ने चुनाव से पहले कहा था कि भाजपा को चुनाव में फायदा पहुंचे इसके लिए पैरा मिलिट्री फोर्स पर हमला हो सकता है। उनकी भविष्यवाणी आखिरकार सच साबित हुई। इस हमले से किसे चुनावी फायदा मिलेगा सबको पता है लेकिन ध्यान देने वाली बात सिर्फ इतनी है कि इस हमले में किसी भी नेता या मंत्री के बेटे की जान नहीं गई है।

 


 24 CRPF personnel died in Naxal attack in Bijapur, Chhattisgarh. At the time when this attack was taking place, Home Minister Amit Shah and PM Narendra Modi were campaigning in Assam and Bengal. Prashant Kishore had said before that the Para Military Forces may be attacked for benefiting the BJP in the election. His prediction finally came true. Who will get electoral benefits from this attack, everyone knows, but the only thing to note is that no leader or minister's son has been killed in this attack. #ChhattisgarhNaxalAttack #BijapurNaxalAttack

SSC GD 2018- Amit Shah चाहें तो मिल सकता है रोजगार! | SSC GD 2018 Protests

 SSC GD 2018- Amit Shah चाहें तो मिल सकता है रोजगार! | SSC GD 2018 Protests SSC GD 2018 - महीनों से प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों की मांग सरकार सुन नहीं रही है। बेबस अभ्यर्थी सड़कों पर सोने को मजबूर है। लेकिन अभ्यर्थियों को मानना है कि अगर अमित शाह चाहें तो हमें रोजगार मिल सकता है।


 SSC GD 2018 - The government is not listening to the demands of the candidates who have been performing for months. The helpless candidate is forced to sleep on the streets. But candidates believe that if Amit Shah wishes, we can get employment. #SSCGD2018 #SSCGDProtests #AmitShah