Saturday, June 29, 2019

Madhya Pradesh Manikpur Village Sarpanch Road Issue

 हमरे एक यूजर ने RVY से मुद्दा उठाया हे की मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में करकेली पंचायत में गाँव मानिकपुर में साल 2017 में लगभग 200 मीटर सीसी सड़क और नाली बनाने के लिए 12 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे

लेकिन आज तक गाँव में कोई सड़क नहीं दिखी।यह शिकायत जैसे ही ज़िला प्रशासन को दी गई, वहां से इसकी कार्रवाई की कोई तस्वीर सामने नहीं आई मगर सार्वजनिक रूप से रोज़गार सहायक से पता चला कि राशि सरपंच महोदय के पास है।



और जब सरपंच को पता चला की उनकी शिकायत की गयी है तो सरपंच द्वारा लोगो को मरने की धमकी दी गयी। 

इस पंचायत के सरपंच रघुवंशी प्रताप सिंह 45 सालों से सरपंच हैं. जिन्होंने इतने सालो से गाँव की तरक्की के लिए कोई ख़ास कदम नहीं उठाए है।  ग्राम सभा में  पंच से सवाल पूछने पर भरी सभा में सरपंच महोदय द्वारा डांट कर भगा दिया जाता है।
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Thursday, June 27, 2019

Journalist Prashant Kanaujia is now on the Molitics

देश के सभी प्रमुख मुद्दो पर और सरकार से सवाल करने प्रशांत कनौजिया अब आ रहे हैं मोलिटिक्स पर, जहाँ सत्ता की तारीफ़ नहीं बल्कि सत्ता से तीखे सवाल पूछे जाएगें और सत्ता पर होगी सवालों की बमबारी। 





source link:  https://www.molitics.in/news/120064/prashant-kanojia-on-molitics

Wednesday, June 26, 2019

Did BSNL get access to reality due to Jio?


क्या Jioकी वजह से BSNL पंहुचा घाटे में -जानिए सच्चाई



BSNL जिसका टैगलाइन था - कनैक्टिंग इंडिया वो इस तरह टूटेगा शायद ही किसी ने सोचा था। 3G तक की प्रतिस्पर्धा में ठीक ठाक बनी रही BSNL 4G के दौर में मरणासन्न हो गई है। नौबत ये है कि 1 लाख 76 हज़ार कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए BSNL के पास पैसा नहीं है।

सरकार के आगे हाथ पसारे BSNL कैश देने की गुहार लगा रही है।आखिर क्या कारण है कि 2000-2009 तक लगातार फ़ायदे में रही ये संस्था साल-दर-साल नुकसान झेलने लगी। लाखों युवा जिस नौकरी के सपने देखते हैं, आख़िर क्यों वहाँ के कर्मचारी बहाने पर मजबूर हैं? दरअसल सारा खेल शुरू होता है 2007-08 से। BSNL को 2600 MHz फ्रीक्वेंसी पर BWA (Broadband Wireless Access) मिला।2010 में सरकार ने 4G नेटवर्क के लिए नीलामी शुरू की। ये नीलामी 2300 MHz फ्रीक्वेंसी के लिए की गई। इसके बाद एयरटेल ने 2012 में LTE Network पर 4G सेवाएँ शुरू की।


BSNL ने सरकार को कहा कि उसे मिली 2600 MHz फ्रीक्वेंसी पर LTE Network के ज़रिए काम नहीं हो पाएगा। BSNL 2011 के बाद से 2600 MHz फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम वापिस कर रिफंड का गुहार करने लगी।

सरकार ने 2014 में BSNL को रिफंड दिया। ये रिफंड ऑपरेशनल खर्चों को चलाने के लिए और पहले से मौजूद 2G और 3G को मजबूत करने के लिए दिया गया। लेकिन अब तक टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर बदल चुकी थी।4G के आने के बाद, जियो का लगभग एकछत्र राज्य शुरू हो गया। और साथ ही शुरू हो गया बाकी टेलीकॉम कंपनियों का अवसान।



बाज़ार में BSNL की कुल हिस्सेदारी मात्र 10 फ़ीसदी रह गई है। नीति आयोग ने BSNL को बंद करने का प्रस्ताव दिया लेकिन सरकार ने उसे ख़ारिज़ कर दिया।अब देखना महत्वपूर्ण होगा, कि सरकार अपने इस उपक्रम के बारे में क्या सोच रही है? जियो के प्रचार में मुख्य रूप से दिखने वाले मोदी सरकार का ध्यान उन 1 लाख 76 हज़ार कर्मचारियों की तरफ है, जिनका भविष्य BSNL की ख़स्ता माली हालत के कारण अधर में लटकी है?

Tuesday, June 25, 2019

Country Leaders Electricity Bill Owed



 

हाल ही में शकील अहमद शेख नाम के एक्टिविस्ट द्वारा फाइल की गयी RTI के जरिये महाराष्ट्र के कई बड़े नेता नगर निगम की ब्लैकलिस्ट में शामिल हो गए। पर ये नेता ब्लैकलिस्ट क्यों हुए ? जवाब में पता चलता है कि महारष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत 18 बड़े नेताओ ने कई सालो से पानी का बिल ही जमा नहीं किया।



निंदनीय है की जो नेता समाज के आदर्श होने चाहिए वो समाज में चोरी और सरकारी संपत्ति का दुरूपयोग करने के लिए सुर्खियों में नज़र आ रहे हैं। और तो और हमारे देश में एक चलन ये भी बन गया है की नेता सरकारी आवासों पर अनधिकृत कब्जा क्र लेते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में ही 1200 से ज्यादा सरकारी बंगलों पर अनधिकृत कब्जा है।

ये बंगले सरकारी सुविधा के तहत कुल आवासों की संख्या के करीब 2 फीसदी हैं। नेताओ द्वारा सरकारी संपत्ति को इस तरह से उपयोग करना न तो केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है बल्कि सरकारी बजट को भारी नुक्सान पहुंचा रहा है।

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Monday, June 24, 2019

CM's Chair had gone Now Sunny Deol is in Danger Now Sunny Deol is in Danger

ये है पूरा मामला

हर उम्मीदवार को चुनाव के बाद कुल खर्च का हिसाब देना होता है. चुनाव के वक्त हर कैंडिडेट एक अलग अकाउंट रखता है. यहां खर्च हो रहे पैसे का हिसाब रखता है. कैंडिडेट के अलावा चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त अधिकारी भी इस खर्च का हिसाब रखते हैं. जिसे शैडो रिजस्टर का नाम दिया जाता है. यानी टू वे मामला है.


चुनाव आयोग उम्मीदवार की हर सभा या रैली में पोस्टर-बैनर से लेकर गाड़ियों तक के खर्च की डिटेल रखता है. चुनाव खर्च की मैक्सिमम लिमिट है 70 लाख. लेकिन चुनाव आयोग के शैडो रिजस्टर के मुताबिक सन्नी ने 86 लाख से ज्यादा खर्च किए हैं.सन्नी ने क्या कहा सन्नी देओल की ओर से जवाब आया है कि चूक उनसे नहीं, चुनाव की टीम से हुई है. सन्नी की लीगल टीम ने कहा कि उनके क्लाइंट के चुनाव खर्च का हिसाब ठीक है.

चुनाव आयोग की टीम से चूक हुई है. अगर कोई कन्फ्यूज़न है तो खर्च की सही डिटेल फिर मुहैया करा दी जाएगी.सन्नी के प्रचार में खर्च बढ़ने का अहम कारण है बड़ी रैलियां.

29 अप्रैल को गुरदासपुर में भाजपा ने बड़ी रैली की थी. 2 मई को सन्नी देओल ने रोड शो किया.

5 मई को पठानकोट में एक और बड़ी रैली हुई. इस रैली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत कई नेता हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे. लाज़मी है खर्च बढ़ा.

source link: https://www.molitics.in/news/119415/CM's-chair-had-gone-now-Sunny-Deol-is-in-danger.

Thursday, June 20, 2019

दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में लड़कियों के साथ ऐसा ही होता है




रात हो गयी है बाहर नहीं जाना है,
छोटे कपडे मत पहनो,
आवाज़ नीचे रखो,
दुपट्टा पहनकर रखो
बड़ी हो रही हो खाना बनाना सीखो
इतना सब सुनने और करने के बाद भी अगर एक लड़की इस Modern India में सेफ नहीं है तो फिर समाज को आईना देखने की जरूरत है.
Let's see the truth behind India's Rich Culture.

 और यहाँ भी पढ़ें : केजरीवाल ने दिल्ली की महिलाओ को दिया बड़ा तोहफा

Nitish Kumar और BJP के हिसाब से इसलिए मर रहे Bihar में बच्चे


बिहार में चमकी बुखार से मौतों के बीच प्रदेश के नेताओं के बेतुके बयान आने जारी है। बीजेपी सांसद अजय निषाद ने चमकी बुखार के लिए 4G फॉर्मूले को जिम्मेदार बताया है।



अजय निषाद ने कहा है कि गरीबी, गांव, गंदगी और गर्मी बच्चों की मौत की वजह है। निषाद का कहना है कि इंसेफलाइटिस के मामले हर साल आते हैं लेकिन इस साल इसकी संख्या में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि संभव है इसका कारण प्रचंड गर्मी हो।
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Sarabjit has a violent history of attacking Saber in Mukherjee Nagar of Delhi.

Sarabjit has a violent history of attacking Saber in Mukherjee Nagar of Delhi.


दिल्ली के मुखर्जीनगर में सिख बाप-बेटे की पिटाई के मामले में नया खुलासा हुआ है. दरअसल, टैक्सी ड्राइवर सरबजीत सिंह पर इसी साल 3 अप्रैल को मारपीट का मामला दर्ज कराया गया था. सरबजीत पर आरोप लगा था कि उन्होंने दिल्ली के गुरुद्वारे बंगला साहब के सेवादार से मारपीट की थी. मारपीट के बाद मामला पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में दर्ज कराया गया था. यहां तक कि दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी किया था.



दिल्ली के मुखर्जीनगर में हुई वारदात के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम मामले की जांच कर रही है. साथ ही पुलिस सरबजीत के आपराधिक बैकग्राउंड की भी जांच कर रही है, जिस दौरान पुलिस को पुराने मामले की जानकारी मिली. सरबजीत पर हुई एफआईआर के मुताबिक मारपीट का मामला 3 अप्रैल 2019 का है.
गुरुद्वारा बंगला साहिब के सेवादार मंगल सिंह ने पुलिस से शिकायत की थी. उस दौरान सरबजीत अपने बेटे के साथ कई दिनों से गुरुद्वारे में रह रहा था. जब उससे गुरुद्वारे में रहने की वजह पूछी तो सरबजीत ने कुछ जवाब नहीं दिया. फिर जब घर नाम और पता पूछा गया तो वो भागने की कोशिश करने लग गया. शक होने पर सेवादार ने गुरुद्वारे के दूसरे लोगों के साथ उसे रोकने की कोशिश की फिर सरबजीत सेवादार से भिड़ गया और उसका हाथ तोड़ दिया. इस पूरे मामले की शिकायत पुलिस से कई गई थी जिसके बाद सरबजीत की गिरफ्तारी भी हुई थी.
अब दिल्ली के मुखर्जीनगर में भी सरबजीत की पुलिस वाले से भिड़ंत हो गई थी. जिस दौरान उसने मौके पर ही कृपाण निकालकर पुलिसवाले को ज़ख्मी कर दिया था. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 3 पुलिसवालों को भी सस्पेंड कर दिया. लेकिन कार्रवाई के बावजूद सिख समुदाय मुखर्जीनगर में थाने के बाहर डेरा जमाए हुए थे. 17–18 जून की रात भी उन्होंने काफी देर तक नारेबाजी भी की.
थाने के बाहर धरना दे रहे सिख समुदाय के लोगों के बीच से एक डेलिगेशन पुलिस के अधिकारियों से भी मिलने गया. उन्होंने मांग की कि सिख ड्राइवर सरबजीत के ऊपर जो धाराएं लगाई गई हैं उन्हें हटाया जाए. जबकि सरबजीत के हमले से पुलिस वाला बुरी तरह से ज़ख्मी हुआ था.
सिख डेलिगेशन की मुलाकात के बाद सुबह 3–4 बजे के दौरान हालात नॉर्मल हुए. फिर लोग अपने-अपने घर की तरफ बढ़ गए. हालांकि दिल्ली पुलिस सुरक्षा को देखते हुए अभी भी काफी सतर्क है.
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 #RaiseYourVoice against political dogmatism.




Wednesday, June 19, 2019

Ye hai Modi ke Gujaraat modal ka ghinona sach

"हमें सरकार पर भरोसा नहीं है, इसलिए हम खुद से कुंआ खोद रहे हैं, पीने के लिए पानी नहीं है."
ये कहना है सेमाभाई का,सेमाभाई एक छोटे से गांव उपाला खापा में रहते हैं. उनके पास जमीन तो है लेकिन खेती करने के लिए पानी नहीं है.
उत्तरी गुजरात के पालनपुर जिले के अमीरगढ़ ब्लॉक के अधिकांश किसानों का यही हाल है. इन सबके खेत सूखे पड़े हुए हैं और फसल की सिंचाई के लिए पानी नहीं है.
इनके मक्के की फसल पूरी तरह सूख गई है.सेमाभाई के पास दो बैल हैं लेकिन उनका इस्तेमाल खेतों को जोतने में नहीं हो रहा है, बल्कि कुंआ खोदने में किया जा रहा है.
पिछले साल उनकी फसल सूख गई थी और इस साल उनका कुंआ भी सूख गया था.
वे बताते हैं, "मेरे कुंए में पानी नहीं है, इसलिए अब मैं एक कहीं गहरा कुंआ खोद रहा हूं. पहले तो कुंए में थोड़ा पानी था लेकिन इस बार सूखे के चलते पानी ख़त्म हो गया है, पीने तक के लिए पानी नहीं है."


उपाला खापा एक छोटा सा गांव है, गांव के बाहरी हिस्से में एक सरकारी प्राथमिक स्कूल है. गांव में प्रवेश करते ही सड़क के दोनों तरफ दूर तक खेत ही खेत नजर आते हैं लेकिन इन खेतों में कोई हरियाली नजर नहीं आती.इन खेतों में कुछ में कुएं मौजूद हैं, कुछ में पुराने तो कुछ में नए. लेकिन इनमें किन्हीं में पानी मौजूद नहीं है.

बीते साल मानसून में सेमाभाई ने मक्के की फसल लगाई थी लेकिन मक्का नहीं उपजा. वे बताते हैं, "सूखा था, हमारे खेतों में कुछ नहीं हुआ. सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली. हमें सरकार पर कोई भरोसा भी नहीं है इसलिए कुद से ही कुंआ खोद रहे हैं."
सेमाभाई का परिवार अब तक 70-80 फीट तक की खुदाई कर चुका है लेकिन अब तक पानी मिलने के कोई संकेत नहीं मिले हैं. पानी मिलने के लिए अभी कितनी खुदाई और करनी होगी, इसका अंदाजा परिवार को नहीं है.

गुजरात के दूसरे हिस्सों में भी कुएं और तालाब सूख रहे हैं. पानी के स्थानीय स्रोत क्यों सूख रहे हैं, इस बारे में स्थानीय कार्यकर्ता नफीसा बारोट बताती हैं, "1970 के दशक में सरकार स्थानी पानी के स्रोतों को बेहतर बनाने का काम करती थी लेकिन 1990 में सरकार का ध्यान जरूरतमंद इलाकों में सप्लाई वाटर पहुंचाने पर शिफ्ट हो गया."

नफीसा बारोट बताती हैं कि जरूरत स्थानीय जल संसाधनों के देखभाल की थी लेकिन सरकार का ध्यान बड़े पैमाने पर जलआपूर्ति करने वाले प्रोजेक्टों की तरफ हो गया, ऐसे में स्थानीय जल संसाधनों की लगातार उपेक्षा हुई.

ये तो वो हकीकत है जो हमारे जैसे पत्रकारों के नज़र में आई मौजूदा समय में न जाने कितने ऐसे सेमाभाई की हकीकत सूखे ज़मीन पर गड्ढा खोद रही होगी। हालाँकि सेमाभाईको 70 फीट खोदने के बाद भी पानी नहीं मिला लेकिन उम्मीद है सरकार को उनके इस परिश्र्म की खबर जरूर मिलेगी और हमारी सरकार सूखाग्रस्त इलाकों के लिए जरूर कोई योजना जल्द ही लेकर आएगी।

source link: https://www.molitics.in/news/118670/water-scarcity-gujrat

Sunday, June 16, 2019

India will now make big changes || Modi made a 15-point agreement with Kyrzystan on these issues in the SCO Summit

Bishkek Summit: What is Shanghai Cooperation Organisation and why it is important for India. As PM Modi's attends the SCO Summit in Bishkek, Kyrgyzstan, India-Pakistan ties have, to a certain degree, overshadowed the first multilateral visit of the Indian Prime Minister Narendra Modi. 



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Who is responsible - Lichi or the government? More than 80 children die Chamki Fever - AES in Muzaffarpur

Chamki Fever - aes in muzaffarpur claimed more than 80 lives. Some people are saying that Litchi is the reason behind Acute Encephalitis Syndrome. But is this true? Lackluster government is a major reason behind deaths due to brain fever. Install Molitics Android App: https://molitics.app.link/1veztabf8W Like Molitics on Facebook: https://www.facebook.com/Molitics/ Follow Molitics on Twitter: https://twitter.com/moliticsindia

Friday, June 14, 2019

Why did the Doctor's refuse the warning of Mamata Banerjee in Bengal?

अगर 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' का थीम राजनैतिक होता तो वो कैसा होता इसका अंदाजा आप West Bengal और Mamata Banerjee की राजनीती से लगा सकते हैं. बंगाल में समस्या खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है, चुनाव खत्म हो गए जय श्री राम के नारे पर बवाल हो गया कार्यकर्ताओं के मौत पर भी बवाल हुआ और अब नया बखेड़ा खड़ा हो गया है. वो नया बखेड़ा क्या है ? ये नया बखेड़ा बंगाल में फ़ैल रहे जंगलराज को लेकर है. आइए एक नजर डालते हैं, हुआ क्या


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Water Crisis in India - Dry in Madhya Pradesh and Kamalnath's Right to water

Water Crisis in India - फिलहाल ये एक बड़ी समस्या है। Madhya Pradesh में सूखा एक बड़ी परेशानी बनी हुई है। इसी बीच Kamalnath का Right to water जल संकट को हल करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है।



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Thursday, June 13, 2019

The rapist was of a small caste - Panchas sacrificed meat for purification of the victim - Madhya Pradesh News

Madhya Pradesh News - एक बलात्कार पीड़िता को गाँव के पंचों ने फिर से पीड़ित किया। दरअसल बलात्कारी छोटी जाति का था, सो पंचों ने पीड़िता की शुद्धि के लिए मांगा भोज। उन्होंने कहा मांसाहार का भंडारा कराने से लड़की का शुद्धिकरण हो सकेगा।


देश में आये दिन बलात्कार के केसेस सामने आ रहे हैं चाहे वो Twinkle Rape case हो या कठुआ रेप केस।

Thursday, June 6, 2019

Delhi metro free for women - Aam Aadmi Party's Big Declaration The Big Reason

Delhi metro free for women - Aam Aadmi Party की बडी घोषणा इस वजह से शानदार है क्योंकि दिल्ली में महिलाओं की स्थिति खराब है। पब्लिक स्पेसेज़ पर महिलाओं की संख्या कम है और लेबर फोर्स में उनकी भागीदारी भी कम है। इसका बड़ा कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट की आसान उपलब्धता न होना और महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराध हैं। 



Participate in survey - https://www.molitics.in/survey/detail/570 Raise your voice - https://www.molitics.in/raise-your-voice/5431

Monday, June 3, 2019

The leader who prays for his defeat !!

आपने चुनावो के दौरान ऐसी कई खबरे सुनी होगी की उम्मीदवार पैसा दे के वोट मांगते है ,जबरन डरा धमका के वोट मांगने की कोशिश करते है , और हाल ही मैं ये खबर भी सुनी होगी की ज़बरदस्ती पैसा दे कर लोगो की ऊँगली पर निशान लगा दिया ताकि वो वोट न दे पाए। लेकिन, मैं जिस नेता के बारे में बताने जा रही हूँ उसका किस्सा सुन कर आप हैरान और दांग रह जाएगे .

मोदी ने उत्तर प्रदेश के इन 5 नेताओं को मंत्री नहीं "मोहरा" बनाया

तमिलनाडु के सालेम के रहने वाले डॉ. के पद्मराजन. 2018 तक 181 चुनाव लड़ चुके हैं और 20 लाख रुपए से भी अधिक नामांकन पर खर्च कर चुके हैं ,लेकिन कभी जीत नहीं सके. उन्हें तो इलाके के लोग 'चुनावी राजा' (Election King) के नाम से भी पुकारते हैं. वह हर बार चुनाव में हारने की दुआ करते हैं. 60 साल के पद्मराजन कभी चुनाव प्रचार में पैसे नहीं खर्च करते. उल्टा वह लोगों से मिलकर गुजारिश करते हैं कि कोई उन्हें वोट ना दे.



अब आप सोच रहे होंगे कोई उम्मीदवार या नेता ऐसा क्यों करेगा ?
दरअसल, उनकी ख्वाहिश गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने की है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले से ही 2004, 2014 और 2015 में वह सबसे अधिक चुनाव हारने वाले उम्मीदवार का रिकॉर्ड लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है. वह चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ते, बल्कि अपना रिकॉर्ड बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ते हैं.

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अमित शाह बन गए गृहमंत्री विपक्ष में इसलिए मच रही होगी खलबली 
 
Modi 2.0 - इन चुनौतियों से पार पाना मोदी के लिए होगा मुश्किल 

Employment की तलाश में बनी MP Chandrani Murmu Youngest MP



Kejriwal gives big gifts to women of Delhi




दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो और डीटीसी बसों में महिला यात्रियों के लिए मुफ्त सफर का बड़ा ऐलान किया है।