मुसलमानों को तोड़ने का प्रयास है Triple Talaq
राज्यसभा में पेश हुए बिल के पक्ष में 99 लोगों ने वोट किया, जबकि 84 लोगों ने इसके विपक्ष में वोट किया।अब विपक्ष के कई नेताओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय को कमजोर करने तथा उसे तोड़ने की नियत से बनाया है, जबकि सत्ताधीशों का कहना है कि इस बिल से मोदी जी देश की मुस्लिम महिलाओं को न्याय देने का काम किया है।
Wednesday, July 31, 2019
Kyon Khataranak Saabit ho Sakata hai UAPA bill ?
सरकार ने जहाँ UAPA बिल में संशोधन के लिए देश की सुरक्षा का हवाला दिया वही ये भी सोचने का विषय है कि केवल शक के आधार पर किसी को भी हिरासत में लेना कहाँ तक जायज है और अगर सरकार किसी को हिरासत में लेती भी है तो उसका कारण बताने की क्या समयसीमा होगी ?
source link: https://www.molitics.in/news/125650/Is-UAPA-bill-harmful-for-the-Nation
Tuesday, July 30, 2019
RTI Amendment and Weakening our Democracy
“केंद्र सरकार मे RTI संशोधन बिल पास कर दिया है जिसके अनुसार सैलरी, भत्ते, सेवा की शर्तें और कार्यकाल केंद्र सरकार के अधीन होगा। ये संशोधन पारदरिशिता के कानून को हिला कर रख देगा। मोदी जी, ये संशोधन दर्शाता है कि आप लोकशाही की जगह तानाशाही में विश्वास करते हैं।
”सबसे पहले आपको ये बताएँ RTI है क्या? एक समय जब CBI, Election Commission और न्यायपालिका जैसे संस्थानों की स्वतंत्रता लगातार खतरे में दिख रही थी, RTI - आम लोगों के लिए सूचनाओं का बड़ा हथियार माना जा रहा था।नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा पैसे किस बैंक में जमा हुए, कॉमनवेल्थ घोटाले से लेकर कोयला घोटाला, राशन घोटाला, 2G - घोटाला आदि न जाने कितने ही घोटालों का पर्दाफ़ाश RTI ने किया।
ख़ैर सरकार ने सूचना का अधिकार संशोधन बिल पास कर दिया है। विपक्ष के आरोप हैं कि सरकार RTI को कमज़ोर करना चाहती है क्योंकि ये भ्रष्टाचारियों से मिली हुई है। सरकार ने इस बात को खारिज किया है। कहती है - सरकार सरलीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। चलिए जानते हैं कि RTI संशोधन है क्या -ओरीजिनल
RTI बिल के अनुसार -
1. मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 साल का होता। और अधिकतम उम्र 65 साल की होगी। संशोधन के हिसाब से कार्यकाल के बारे में के बारे में कोई भी फैसला केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होगी।
2. पहले के बिल के हिसाब से सूचना आयोग के सदस्यों की सैलरी और सेवा की शर्तें चुनाव आयोग के सदस्यों के समान होती थी। लेकिन संशोधन के जरिए भत्ते और वेतन के बारे में निर्णय केंद्र सरकार ने अपने अंदर ले लिया है।सरकार ने ये दलील दी है कि चुनाव आयोग और सूचना आयोगों की कार्यप्रणालियां 'एकदम भिन्न' हैं. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है सूचना आयोग एक कानूनी निकाय है।लेकिन सरकार यह भूल गई कि फ्री स्पीच और निष्पक्ष चुनाव संविधान के लक्ष्य हैं और चुनाव आयोग और सूचना आयोग इस लक्ष्य को पाने के लिए ज़रूरी संस्थान हैं।
Watch Sanjay Singh in Rajya Sabha on RTI
2013 से 2018 तक भारत के केंद्रीय सूचना आयुक्त रह चुके प्रोफेसर श्रीधर आचार्युलू कहते हैं कि यह संशोधन सूचना आयोग को सरकार के अधीन ला देगा. उनके मुताबिक, इसके खतरनाक परिणाम होंगे.अप्रैल 1996 में राजस्थान के बियावर में कुछ लोग इकट्ठा हुए। SDM ऑफिस तक गए और आंदोलन किया। उन्होंने नारा लगाया था - हमारा पैसा - हमारा हिसाब। अंततः इसी तरह के आंदोलन का परिणाम था RTI एक्ट। सरकार के इस संशोधन से भ्रष्टचार के खिलाफ और निष्पक्षता के लिए सड़क पर हो रहे तमाम आंदोलनों को कुचल दिया है।
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”सबसे पहले आपको ये बताएँ RTI है क्या? एक समय जब CBI, Election Commission और न्यायपालिका जैसे संस्थानों की स्वतंत्रता लगातार खतरे में दिख रही थी, RTI - आम लोगों के लिए सूचनाओं का बड़ा हथियार माना जा रहा था।नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा पैसे किस बैंक में जमा हुए, कॉमनवेल्थ घोटाले से लेकर कोयला घोटाला, राशन घोटाला, 2G - घोटाला आदि न जाने कितने ही घोटालों का पर्दाफ़ाश RTI ने किया।
ख़ैर सरकार ने सूचना का अधिकार संशोधन बिल पास कर दिया है। विपक्ष के आरोप हैं कि सरकार RTI को कमज़ोर करना चाहती है क्योंकि ये भ्रष्टाचारियों से मिली हुई है। सरकार ने इस बात को खारिज किया है। कहती है - सरकार सरलीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। चलिए जानते हैं कि RTI संशोधन है क्या -ओरीजिनल
RTI बिल के अनुसार -
1. मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 साल का होता। और अधिकतम उम्र 65 साल की होगी। संशोधन के हिसाब से कार्यकाल के बारे में के बारे में कोई भी फैसला केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होगी।
2. पहले के बिल के हिसाब से सूचना आयोग के सदस्यों की सैलरी और सेवा की शर्तें चुनाव आयोग के सदस्यों के समान होती थी। लेकिन संशोधन के जरिए भत्ते और वेतन के बारे में निर्णय केंद्र सरकार ने अपने अंदर ले लिया है।सरकार ने ये दलील दी है कि चुनाव आयोग और सूचना आयोगों की कार्यप्रणालियां 'एकदम भिन्न' हैं. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है सूचना आयोग एक कानूनी निकाय है।लेकिन सरकार यह भूल गई कि फ्री स्पीच और निष्पक्ष चुनाव संविधान के लक्ष्य हैं और चुनाव आयोग और सूचना आयोग इस लक्ष्य को पाने के लिए ज़रूरी संस्थान हैं।
Watch Sanjay Singh in Rajya Sabha on RTI
2013 से 2018 तक भारत के केंद्रीय सूचना आयुक्त रह चुके प्रोफेसर श्रीधर आचार्युलू कहते हैं कि यह संशोधन सूचना आयोग को सरकार के अधीन ला देगा. उनके मुताबिक, इसके खतरनाक परिणाम होंगे.अप्रैल 1996 में राजस्थान के बियावर में कुछ लोग इकट्ठा हुए। SDM ऑफिस तक गए और आंदोलन किया। उन्होंने नारा लगाया था - हमारा पैसा - हमारा हिसाब। अंततः इसी तरह के आंदोलन का परिणाम था RTI एक्ट। सरकार के इस संशोधन से भ्रष्टचार के खिलाफ और निष्पक्षता के लिए सड़क पर हो रहे तमाम आंदोलनों को कुचल दिया है।
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Monday, July 29, 2019
The whole story of Unnao Rape is dangerous even from a big thriller movie!
4 जून 2017-उन्नाव में एक लड़की का बलात्कार होता है। बलात्कार के आरोप उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगते हैं। पीड़िता पुलिस के पास जाती है। लेकिन नेता के रसूख़ के सामने पुलिस की कार्यवाही मंद पड़ जाती है।
असंतुष्ट होकर रेप पीड़िता 8 अप्रैल 2018 को सीएम आदित्यनाथ के घर के बाहर खुद को जला लेने की कोशिश करती है। 9 अप्रैल को न्यायिक हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत हो जाती है। कुलदीप सेंगर के भाई पर आरोप लगता है कि उसने जुडिशियल कस्टडी में पीड़िता के पिता की पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई। विरोध बढ़ता है। विशेष जाँच दल गठित की जाती है। जाँच दल रिपोर्ट सौंपती है। रिपोर्ट में बताया जाता है कि स्थानीय पुलिस और डॉक्टर्स ने कई बड़ी लापरवाहियाँ की।
मामला सीबीआई को सौंप दिया जाता है। CBI, कुलदीप सेंगर और उसके भाई के खिलाफ चार्जशीट दर्ज करती है। अगस्त 2018 में बलात्कार के की-विटनेस की मौत हो जाती है। बिना ऑटॉप्सी के उसकी लाश ज़मीन में गाड़ दी जाती है। 21 नवंबर 2018 को पीड़िता के चाचा को 18 साल पुरानी गन फायरिंग केस में अरेस्ट किया जाता है।
अब 28 जुलाई 2019 को पीड़िता के कार को एक ट्रक टक्कर मार देती है। दो परिजन मर जाते हैं। पीड़िता बुरी तरह से घायल हो जाती है। जिस ट्रक से एक्सीडेंट हुआ है, उसका नंबर प्लेट काले पेंट से लिपा हुआ है। अफसोस यह है कि ये कहानी बॉलीवुड के किसी थ्रिलर फिल्म की नहीं है। ये कहानी है उत्तर प्रदेश की एक लड़की की। जिसे नौकरी देने के नाम पर बलात्कार किया गया। और फिर लगभग पूरे परिवार पर शिकंजा कस लिया गया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सरकार बीजेपी की है और 403 में से 312 विधायक बीजेपी के हैं। कुल 143 विधायकों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज़ हैं। इन 143 विधायकों में से 114 विधायक बीजेपी के हैं। मतलब बीजेपी के चुने हुए 37 प्रतिशत विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि से हैं। वहीं अगर बात गंभीर आपराधिक मामलों की हो, तो कुल 107 विधायक और बीजेपी के 86 विधायक इस पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं।
मतलब साफ है, उत्तर प्रदेश की विधानसभा में केवल नेता नहीं बल्कि नामी गुण्डे और अपराधी भी चुनकर जाते हैं। इसकी जिम्मेदारी जनता पर है। लेकिन जब जानकारियों का मुख्य स्तंभ मीडिया पक्षपाती हो जाए तो जनता कहाँ से जानकारियाँ हासिल करेगी? धनबल और बाहुबल के आगे बेबस लोगों को गोदी मीडिया और कमज़ोर कर रहा है।
source link: https://www.molitics.in/article/582/car-accident-of-unnao-rape-case-victim
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Why is digital terrorism being spread against Muslims?
"जो न बोले जय श्री राम, भेज दो उसको कब्रस्तान" जैसे गाने मुसलमानों के ख़िलाफ़ समाज में जहर भर रहे हैं। विवादित गाना गाने वाले गायक वरुण बहार का जुड़ाव बजरंग दल से है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई गाने मौजूद हैं जो सीधे तौर पर मुसलमानों की हत्या करने की वकालत कर रहे हैं। आख़िर कब तक सत्ता के संरक्षण में ऐसे डिजिटल आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाएगा
source: https://www.molitics.in/news/124927/Why-is-digital-terrorism-being-spread-against-Muslims
source: https://www.molitics.in/news/124927/Why-is-digital-terrorism-being-spread-against-Muslims
Why Modi Government not giving Record of Farmer's Suicide?
कृषि संकट का निवारण करने के बजाए सरकार किसानों के आत्महत्या के रिकॉर्ड को छुपा रही है। किसानों के आत्महत्या से जुड़े तथ्यों को जानने के लिए देखें यह वीडियो।
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source link: https://www.molitics.in/news/124974/why-modi-govt-is-hiding-Farmer's-Suicide-Record
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Monday, July 22, 2019
Mob Lynching Increasing threat to Muslim community
हाल ही में सुर्ख़ियों में सम्प्रदायिकता का खूब बोल बाला रहा, पहले एक खबर आई जिसमे कम्युनल सर्विस के नज़रिये से रांची के जज महोदय को हिन्दू लड़की को कुरान बांटने का फैसला सुनाना भारी पड़ा और उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा। सम्प्रदायिकता के भाव को कम करने की कोशिश में ऐसा फैसला देना जज साहब की गलती बताई गयी लेकिन उसके तुरंत बाद ही बिहार से आई खबरों ने सम्प्रदियकता से बढ़ते खतरों का प्रमाण दे दिया।
पहली खबर थी कि बिहार के सारन जिले से, जहाँ तीन अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भैंस चुराने के आरोप में भीड़ ने इतना मारा कि उन्होंने दम तोड़ दिया। दूसरी खबर में भी मंदिर में दम्पति को चोरी के शक के चलते प्रताड़ित किया गया और इतना मारा गया की पति की मौत हो गयी।
जब मॉब लिंचिंग पर सुर्खियां गरमाई तो बिहार के CM ने बड़ी आसानी से कह दिया "लोगों ने भैंस चुराई थी ये लिंचिंग का मामला नहीं है", शायद CM साहब के लिए भी पशु चुराना किसी इंसान की हत्या से ज्यादा बड़ा आरोप है। ऐसी ही वजह से देश में पिछले 5-6 सालों में तक़रीबन 95 मौतें हो चुकी हैं। और आए दिन भीड़तंत्र कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहा है।
source link: https://www.molitics.in/news/124018/Mob-lynching-Increasing-threat-to-Muslim-community
पहली खबर थी कि बिहार के सारन जिले से, जहाँ तीन अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भैंस चुराने के आरोप में भीड़ ने इतना मारा कि उन्होंने दम तोड़ दिया। दूसरी खबर में भी मंदिर में दम्पति को चोरी के शक के चलते प्रताड़ित किया गया और इतना मारा गया की पति की मौत हो गयी।
जब मॉब लिंचिंग पर सुर्खियां गरमाई तो बिहार के CM ने बड़ी आसानी से कह दिया "लोगों ने भैंस चुराई थी ये लिंचिंग का मामला नहीं है", शायद CM साहब के लिए भी पशु चुराना किसी इंसान की हत्या से ज्यादा बड़ा आरोप है। ऐसी ही वजह से देश में पिछले 5-6 सालों में तक़रीबन 95 मौतें हो चुकी हैं। और आए दिन भीड़तंत्र कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहा है।
source link: https://www.molitics.in/news/124018/Mob-lynching-Increasing-threat-to-Muslim-community
D Raja takes over as CPI general secretary
पूर्ववर्ती महासचिव सुधाकर रेड्डी के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद तीन दिनों तक चली पार्टी की नेशनल काउन्सिल की बैठक में पार्टी की बागडोर डी राजा को सौंप दी गयी है . कम्युनिस्ट पार्टी को अक्सर यह आलोचना झेलनी पड़ती है कि जाति के प्रश्न को ईमानदारी से संबोधित नहीं करतीं और नेतृत्व के मामले में आज भी उनके यहाँ समाज के कथित ऊंचे तबके के लोगों का दबदबा है.
source link: https://www.molitics.in/news/124212/D-Raja-takes-over-as-CPI-general-secretary
Is the Republic of Hindustan Democrat moving towards becoming a country
बीते दिनों में भाजपा के सदस्यता अभियान पर खूब ज़ोर दिया गया और पता चला
की भारतीय जनता पार्टी अपनी मौजूदा सदस्य संख्या 11 करोड़ का 20 प्रतिशत
यानी करीब दो करोड़ 20 लाख नए सदस्य बनाने की तैयारी कर रही है।पर सवाल यह
है की जहॉं पार्टी के पास 11 करोड़ जैसी बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं
वहां ऐसी योजनाओं पर focus क्यों ? आखिर दिया भी क्यों न जाए आखिर देश के
गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के प्लान के मुताबिक भाजपा जहां
जितने वोटों से हालिया चुनाव हारी है, उस प्रत्येक सीट से उतने ही नए सदस्य
जोड़कर बूथ पर जीत पक्की करने की तैयारी है।
जिसके चलते चाहे देश में मोब लीचिंग्स हो, बेरोज़गारी अपने चर्म पर हो या प्राकृतिक आपदाओं में सरकार की lack of attention के चलते जाने जाती रहें लेकिन भाजपा का अगले चुनावों में और भारी जीत के साथ आना पक्का हो जाए। इन्ही कोशिशों के चलते खबर आती है कि चंदौली से भाजपा विधायक सुशील सिंह ने राजनीति की अजीबो गरीब पाठशाला शुरू कर दी है जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
असल में इन दिनों चल रहे भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता अभियान के तहत विधायक ने एक छात्र को भाजपा की सदस्यता दिलाकर उन्हें राजनीतिक ज्ञान दे डाला और पार्टी का पटका पहनाकर, उनको शपथ भी दिलाई। बता दें कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। खास बात यह है कि विद्यालय में पढ़ाई के बीच में विधायक सुशील सिंह ने सदस्यता अभियान चलाया। हम आपको बताते चलें की इससे पूर्व भाजपा में शामिल हुए सदस्य अल्पेश ठाकुर, स्वाति यादव, नीरज शेखावत जैसे नेता भाजपा के मुखर आलोचक थे, भाजपा ने अपनी राजनितिक चतुराई के चलते अपने आलोचकों को भी पार्टी में जगह दे दी।
अमित शाह के बयान और भाजपा नेताओं के ऐसे कदम उनकी प्राथमिकताओं को साफ़ दर्शाता है। लेकिन चिंता का विषय ये है कि किसी पार्टी का काम से ज्यादा strategy base पर सशक्तिकरण होना लोकतंत्र के लिए खतरा ना बन जाएं ? और हिंदुस्तान अपनी पूर्ण स्वतंत्रता खोकर china जैसे said to be Republic देशों की श्रेणी में ना खड़ा हो जाए?
source link: https://www.molitics.in/news/123861/Is-the-Republic-of-Hindustan-Democrat-moving-towards-becoming-a-country-
जिसके चलते चाहे देश में मोब लीचिंग्स हो, बेरोज़गारी अपने चर्म पर हो या प्राकृतिक आपदाओं में सरकार की lack of attention के चलते जाने जाती रहें लेकिन भाजपा का अगले चुनावों में और भारी जीत के साथ आना पक्का हो जाए। इन्ही कोशिशों के चलते खबर आती है कि चंदौली से भाजपा विधायक सुशील सिंह ने राजनीति की अजीबो गरीब पाठशाला शुरू कर दी है जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
असल में इन दिनों चल रहे भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता अभियान के तहत विधायक ने एक छात्र को भाजपा की सदस्यता दिलाकर उन्हें राजनीतिक ज्ञान दे डाला और पार्टी का पटका पहनाकर, उनको शपथ भी दिलाई। बता दें कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। खास बात यह है कि विद्यालय में पढ़ाई के बीच में विधायक सुशील सिंह ने सदस्यता अभियान चलाया। हम आपको बताते चलें की इससे पूर्व भाजपा में शामिल हुए सदस्य अल्पेश ठाकुर, स्वाति यादव, नीरज शेखावत जैसे नेता भाजपा के मुखर आलोचक थे, भाजपा ने अपनी राजनितिक चतुराई के चलते अपने आलोचकों को भी पार्टी में जगह दे दी।
अमित शाह के बयान और भाजपा नेताओं के ऐसे कदम उनकी प्राथमिकताओं को साफ़ दर्शाता है। लेकिन चिंता का विषय ये है कि किसी पार्टी का काम से ज्यादा strategy base पर सशक्तिकरण होना लोकतंत्र के लिए खतरा ना बन जाएं ? और हिंदुस्तान अपनी पूर्ण स्वतंत्रता खोकर china जैसे said to be Republic देशों की श्रेणी में ना खड़ा हो जाए?
source link: https://www.molitics.in/news/123861/Is-the-Republic-of-Hindustan-Democrat-moving-towards-becoming-a-country-
Friday, July 19, 2019
Why Election Commission sent TMC, NCP and CPI to 'show cause notice'?
पिछले कुछ वर्षों में जहाँ एक तरफ भाजपा तेज़ी से आगे बढ़ी है वहीं विपक्ष का कद दिन-ब-दिन घटता चला जा रहा है। कांग्रेस और जनता दल की बदहाली के बाद हाल ही में PTI एजेंसी से खबर आई की चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) को "कारण बताओं नोटिस" जारी करने की तैयारी में है।
चुनाव आयोग का सवाल है की पार्टियां वजह बताएं की उन्हें राष्ट्रीय पार्टी की श्रेणी में क्यों रखा जाए? बीते कुछ सालों और ख़ास कर पिछले लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण इन पार्टियों के राष्ट्रीय पार्टी होने के दर्जे पर खतरा मंडरा रहा है।
मौजूदा वक्त में in total 8 पार्टीज को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है जिसमे ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), बीएसपी, सीपीआई, माकपा, कांग्रेस, एनसीपी और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल शामिल हैं । पर सवाल यह है कि इन गिनी चुनी 8 पार्टीज में से भी TMC, NCP और CPI को कारण बताओ नोटिस क्यों ?
source url: https://www.molitics.in/news/123748/Why-Election-Commission-sent-TMC,-NCP-and-CPI-to-'show-cause-notice'-
चुनाव आयोग का सवाल है की पार्टियां वजह बताएं की उन्हें राष्ट्रीय पार्टी की श्रेणी में क्यों रखा जाए? बीते कुछ सालों और ख़ास कर पिछले लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण इन पार्टियों के राष्ट्रीय पार्टी होने के दर्जे पर खतरा मंडरा रहा है।
मौजूदा वक्त में in total 8 पार्टीज को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है जिसमे ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), बीएसपी, सीपीआई, माकपा, कांग्रेस, एनसीपी और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल शामिल हैं । पर सवाल यह है कि इन गिनी चुनी 8 पार्टीज में से भी TMC, NCP और CPI को कारण बताओ नोटिस क्यों ?
source url: https://www.molitics.in/news/123748/Why-Election-Commission-sent-TMC,-NCP-and-CPI-to-'show-cause-notice'-
Thursday, July 18, 2019
Bihar flood When Nitish Kumar can do this, then why can not save Bihar!
Bihar वालों ने दशक से ज्यादा इन्तेजार किया तो गाना आया 'फिर से एक बार हो, Bihar में फलाने की Government हो' और उसको सुनते ही जनता ने Nitish Kumar को 'फिरसे' कुर्सी थमा दी। सोचिए, सिर्फ Nitish Kumar Title Song गाना सुनकर ही !! हालांकि उनके तथा को भी दाद देनी होगी कि जिस गांव में अस्पताल नही है, जहां खपड़ैल विद्यालय तो है लेकिन शिक्षक नही, खड़ंजा तो बन गयी है लेकिन रास्तों पर रौशनी नहीं, हर हाथ में टच इसक्रीन फ़ोन तो है लेकिन ढंग से बिजली नही, वहां भी बाबू का गाना पहुंचा। मतलब साफ है 'तथा शक्ति' होनी चाहिए।
source link: https://www.molitics.in/news/123513/Bihar-flood-When-Nitish-Kumar-can-do-this,-then-why-can-not-save-Bihar!
Why not anti-national who opposes Ajitesh-Sakshi?
Ajitesh-Sakshi का विरोध करने वाले Anti-National क्यों नहीं? बेटी घर की इज्ज़त होती है बेटी घर की शान होती है ऐसा आप लोग हर रोज अपने गली मोहल्ले, मेट्रो और हवाई अड्डे पर सुनते होंगे। बेटी को देवी, वीरांगना न जाने क्या क्या तमगों से लैस कर समाज उनका दिन रात शोषण करता है।
बेटी ने अपनी मर्ज़ी से शादी कर लिया तो समाज के ठेकेदार, पत्रकार और नेता आहत होगये की 2019 के भारत में एक औरत कैसा अपना साथी चुन सकती है। जिस देश में हर साल प्रेमी जोड़े सिर्फ इसलिए मार दिए जाते हैं क्योंकि उन्होंने इश्क़ किया और शादी की।
source link: https://www.molitics.in/news/123407/Why-not-anti-national-who-opposes-Ajitesh-Sakshi-
बेटी ने अपनी मर्ज़ी से शादी कर लिया तो समाज के ठेकेदार, पत्रकार और नेता आहत होगये की 2019 के भारत में एक औरत कैसा अपना साथी चुन सकती है। जिस देश में हर साल प्रेमी जोड़े सिर्फ इसलिए मार दिए जाते हैं क्योंकि उन्होंने इश्क़ किया और शादी की।
source link: https://www.molitics.in/news/123407/Why-not-anti-national-who-opposes-Ajitesh-Sakshi-
Tuesday, July 9, 2019
Yogi ka Uttar Pradesh kya rape Rajya ban gaya hai?
मैनपुरी में एक शादी शुदा जोड़ा मोटरसाइकिल से अपने रिश्तेदारों के घर जा रहा था रास्ते में 3 अज्ञात लोग गाड़ी को रोकते हैं, मिर्च के पाउडर को आंखों में फेकते हैं और पत्नी का अपहरण कर ले जाते हैं
पति नज़दीकी बिसवां थाना पहुंचता है और SHO रजनीश पाल गौतम से शिकायत करता है। न्याय देने के बयाज रजनीश और दो कॉन्स्टेबल पीड़ित पति को निर्ममता से पीटते हैं। 5 घंटे बाद महिला पुलिस थाने पहुंचती है और बताती है कि उसके साथ Gangrape हुआ है।
आला अधिकारी हरकत में आते हैं और रजनीश समेत 2 कॉन्स्टेबल को निलंबित कर देते हैं पीड़त जोड़ा दलित समुदाय से है इसलिए उसे न्याय मिलने की संभावना 90% कम हो जाती है। पति ने कुरवाली थाने में गैंगरेप और लूट का मामला दर्ज़ किया और बिसवां SHO पर SC/ST के तहत मामला दर्ज़ किया गया। पुलिस की इस हरकत पर ज़्यादा चौंकिए नहीं क्योंकि वो किसी मंगल ग्रह से नहीं आई बल्कि इसी समाज का हिस्सा है, जो घोर जातिवादी और सांप्रदायिक है।
हमारे देश में आज भी हजारों के तादाद में दलित उत्पीड़न होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में राम राज्य होने के दावा करते हैं, लेकिन इस तरह की घटना से लगता है कि प्रदेश रेप राज्य की स्थापना हो चुकी है।
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पति नज़दीकी बिसवां थाना पहुंचता है और SHO रजनीश पाल गौतम से शिकायत करता है। न्याय देने के बयाज रजनीश और दो कॉन्स्टेबल पीड़ित पति को निर्ममता से पीटते हैं। 5 घंटे बाद महिला पुलिस थाने पहुंचती है और बताती है कि उसके साथ Gangrape हुआ है।
आला अधिकारी हरकत में आते हैं और रजनीश समेत 2 कॉन्स्टेबल को निलंबित कर देते हैं पीड़त जोड़ा दलित समुदाय से है इसलिए उसे न्याय मिलने की संभावना 90% कम हो जाती है। पति ने कुरवाली थाने में गैंगरेप और लूट का मामला दर्ज़ किया और बिसवां SHO पर SC/ST के तहत मामला दर्ज़ किया गया। पुलिस की इस हरकत पर ज़्यादा चौंकिए नहीं क्योंकि वो किसी मंगल ग्रह से नहीं आई बल्कि इसी समाज का हिस्सा है, जो घोर जातिवादी और सांप्रदायिक है।
हमारे देश में आज भी हजारों के तादाद में दलित उत्पीड़न होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में राम राज्य होने के दावा करते हैं, लेकिन इस तरह की घटना से लगता है कि प्रदेश रेप राज्य की स्थापना हो चुकी है।
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Kya Sapana Chaudhary ke BJP mein sadasyata le lene se Badalegi Bhajapa Netaon ki soch?
सपना चौधरी- हरियाणा के खुले मंचों पर सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कलाकारों में से एक हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में इनकी चर्चा सियासत के मैदानों में अधिक हुई है। लोकसभा चुनावों से पहले अटकले आई की सपना कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं, इसके बाद भाजपा नेता अश्विनी कुमार चोपड़ा और सुरेंद्र सिंह ने उनका परिचय दिया था।
अश्विनी कुमार चोपड़ा ने सपना चौधरी को ठुमके लगाने वाली कहा था और भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने उनके काम पर सवाल खड़े कर कहा कि उनका पेशा नाचना, गाना है।उन्होंने राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे आप के पिता स्वर्गीय राजीव गांधी ने सोनिया गांधी को अपना बना लिया, वैसे ही आप भी डांसर सपना चौधरी को अपना बना लें।
पर अब जब वही सपना चौधरी भाजपा के देशव्यापी सदस्यता अभियान से जुड़ने वाली पहली सदस्य हैं तो सब मौन हैं।किसी भी नेता को उनसे कोई शिकायत नहीं।यहाँ सवाल भाजपा नेताओं से है कि क्या अब भी उन्हें सपना चौधरी के नाचने गाने से दिक्कत है ? या केवल क्या भाजपा में सदस्यता ले लेने से सपना को लेकर भाजपा नेताओं की सोच बदल गई है ?
source: https://www.molitics.in/news/122033/sapana-chaudhary-entry-in-bjp
अश्विनी कुमार चोपड़ा ने सपना चौधरी को ठुमके लगाने वाली कहा था और भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने उनके काम पर सवाल खड़े कर कहा कि उनका पेशा नाचना, गाना है।उन्होंने राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे आप के पिता स्वर्गीय राजीव गांधी ने सोनिया गांधी को अपना बना लिया, वैसे ही आप भी डांसर सपना चौधरी को अपना बना लें।
पर अब जब वही सपना चौधरी भाजपा के देशव्यापी सदस्यता अभियान से जुड़ने वाली पहली सदस्य हैं तो सब मौन हैं।किसी भी नेता को उनसे कोई शिकायत नहीं।यहाँ सवाल भाजपा नेताओं से है कि क्या अब भी उन्हें सपना चौधरी के नाचने गाने से दिक्कत है ? या केवल क्या भाजपा में सदस्यता ले लेने से सपना को लेकर भाजपा नेताओं की सोच बदल गई है ?
source: https://www.molitics.in/news/122033/sapana-chaudhary-entry-in-bjp
Saturday, July 6, 2019
Friday, July 5, 2019
kya sudheer chaudhary ka dna farzi hai?
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा सदन में दिए भाषण को ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी ने कॉपी-पेस्ट बताते हुए कहा कि सांसद ने अमरीकी पत्रकार मार्टिन लांगमैन के एक लेख से चुराया है, जिसके बाद मार्टिन ने खुद ट्वीट कर सुधीर चौधरी के आरोपों को ख़ारिज कर दिया। अब इस फ़जीहत पर न तो चौधरी ने माफ़ी मांगी और न चैनल ने। फेसबुक ने भी चैधरी के डीएनए कार्यक्रम को फ़र्ज़ी ख़बर का तमगा दे दिया है।
Source link: https://www.molitics.in/news/121351/Is-Sudhir-Chaudhary's-DNA-falsely-
How did the first lady presenting the Nirmala Sitharaman budget, when Indira Gandhi introduced in 1970?
तारीख थी 28 फरवरी, 1970 की, जब पहली बार किसी महिला ने देश का बजट पेश किया था. इस बजट पर सबकी निगाहें थीं, क्योंकि ये चुनावी बजट होने वाला था. 1971 के मार्च में आम चुनाव होने थे और ऐसे में इंदिरा गांधी सरकार का ये आखिरी बजट था. इसी बजट में इंदिरा गांधी ने वो चर्चित नारा दिया था गरीबी हटाओ, जिसके बाद 1971 में इंदिरा गांधी को आम चुनाव में जीत मिली थी.
चुनावी बजट होने के बावजूद इंदिरा गांधी ने कुछ कड़े फैसले लिए थे. बजट 15 पन्नों का था. # डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स बढ़ाया गया था. प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ा था, इम्पोर्ट ड्यूटी भी बढ़ाई गई थी.
# इन्कम टैक्स बढ़ाया गया था. 40 हजार रुपये सालाना की आमदनी से ऊपर इन्कम टैक्स लगाया गया था.
# सामान्य वेल्थ टैक्स में बढ़ोतरी की गई थी.
चुनावी बजट होने के बावजूद इंदिरा गांधी ने कुछ कड़े फैसले लिए थे. बजट 15 पन्नों का था. # डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स बढ़ाया गया था. प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ा था, इम्पोर्ट ड्यूटी भी बढ़ाई गई थी.
# इन्कम टैक्स बढ़ाया गया था. 40 हजार रुपये सालाना की आमदनी से ऊपर इन्कम टैक्स लगाया गया था.
# सामान्य वेल्थ टैक्स में बढ़ोतरी की गई थी.
# टीवी पर ड्यूटी बढ़ाई गई थी. 20 पर्सेंट लेवी लगा दी गई थी.
# सैलरी वाले लोगों से हर महीने 250 रुपये की कटौती तय की गई थी, जो पहले 5 रुपये ही थी.
# सिगरेट पर ड्यूटी 3 फीसदी से बढ़ाकर 22 फीसदी कर दी गई थी. लेकिन इस दौरान एक बात का ध्यान रखना ज़रूरी है. वो दौर 1970 का था और अब 2019 चल रहा है. बहुत सी चीजें बदल गई हैं. देश में आर्थिक उदारीकरण है और इस लिहाज से निर्मला सीतारमण की तुलना इंदिरा से करना किसी भी हाल में ठीक नहीं होगा.
source: https://www.molitics.in/news/121278/nirmala-sitharaman-first-women-present-budget
Thursday, July 4, 2019
Does the budget of BMC be spent on Matoshree's writing?
मुंबई में भीषण बारिश के चलते जल-जीवन अस्त-व्यस्त होगया। कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 35-40 लोगों की मारे जाने की बात सामने आरही है। शिवसेना मुखपत्र ने अपने लेख में कहा कि जब भी ऐसा होता है, तब शिवसेना की आलोचना करना फैशन हो जाता है।
एशिया की सबसे अमीर महानगर पालिका का 30000 करोड़ का बजट क्या मातोश्री की लिपाई-पोताई पर ख़र्च होता है?
एशिया की सबसे अमीर महानगर पालिका का 30000 करोड़ का बजट क्या मातोश्री की लिपाई-पोताई पर ख़र्च होता है?
source link: https://www.molitics.in/news/121114/mumbai-monsoon-heavily-rains
Wednesday, July 3, 2019
113 story of Muslim children to be taken off the train
113 मुस्लिम बच्चों को ट्रेन से नीचे उतारने की कहानी
113 मुस्लिम बच्चों को ट्रेन से नीचे उतारने की कहानी... ऐसे कई तरह के सवाल लोग सोशल मीडिया के जरिए जिम्मेदारों से पूछ रहे हैं.अचानक ऐसे सवालों की बाड़ सोशल मीडिया पर कैसे आ गयी दरसल मालदा टाउन-आनंद विहार एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे लगभग 113 मदरसा छात्रों को शनिवार को संदेह के आधार पर बरेली रेलवे स्टेशन पर उतार लिया गया. जिसके बाद लोगों ने अपना गुस्सा शासन-प्रशासन के खिलाफ सोशल मिडिया पर कड़े शब्दों में सवालों के भंडार से जाहिर किया.
असल में छात्रों को क्यों ट्रेन से उतरा गया प्रशसन की माने तो, आनंद बिहार-मालदा टाउन वीकली ट्रेन में संदिग्ध बच्चों के होने की सूचना मिली थी। सूचना पर बच्चों को आरपीएफ और जीआरपी द्वारा स्टेशन पर उतारा गया। पूछताछ में पता चला है कि ये बच्चे अलग अलग मदरसों के है जो छुट्टी के बाद वापस जा रहे थे।
इनके नाम पता की तस्दीक की जा रही है। बच्चे दिल्ली, हापुड़, अमरोहा और मुरादाबाद के मदरसे के हैं। वहीँ बच्चों को ले जा रहे अंसार का कहना है कि ये सब बच्चे अलग अलग मदरसों के है और वापस मदरसे जा रहे हैं। पुलिस ने किसी समुदाय को जबरन परेशान या उनके खिलाफ सकती के बात से इंकार किया है
source link: https://www.molitics.in/news/120939/uttar-pradesh-madarsa-students-deboarded-from-train-at-railway-station
Monday, July 1, 2019
Meerut Migration: Another attempt to emanate the color of communalism
मेरठ में हिन्दू परिवार पलायन कर रहे हैं. 425 परिवारों में से लगभग 125 परिवार अपना मकान बेचकर पलायन कर चुके है। मुद्दा ज़रा गंभीर नज़र आया, पडताल की तो पता चला कि ये किस्सा है मेरठ शहर के बीच स्थित लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के प्रहलाद नगर का जहाँ के रहने वाले दूसरे समुदाय के लोगों को कम दाम पर मकान बेचकर दूसरी किसी जगह पर जा रहे हैं।
यहां कई मकानों व प्लाट के गेटों पर अभी भी बिकाऊ लिखा हुआ है।और इनमें से अधिकांश मकानों की खरीद-बिक्री बीते पांच-छह वर्ष के भीतर हुई है। इस घटना को स्थानीय भाजपा नेता व बूथ अध्यक्ष भवेश मेहता ने सांप्रदायिक रंगों में रंग दिया। आँख और मुँह बंद किए भोले-बाले लोग नेताओं के इस जाल में फँस भी रहे हैं। लेकिन ज़रूरी है भवेश मेहता जैसे नफ़रत के व्यापारियों की पहचान और सामाजिक रूप से उनका उचित विरोध।
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यहां कई मकानों व प्लाट के गेटों पर अभी भी बिकाऊ लिखा हुआ है।और इनमें से अधिकांश मकानों की खरीद-बिक्री बीते पांच-छह वर्ष के भीतर हुई है। इस घटना को स्थानीय भाजपा नेता व बूथ अध्यक्ष भवेश मेहता ने सांप्रदायिक रंगों में रंग दिया। आँख और मुँह बंद किए भोले-बाले लोग नेताओं के इस जाल में फँस भी रहे हैं। लेकिन ज़रूरी है भवेश मेहता जैसे नफ़रत के व्यापारियों की पहचान और सामाजिक रूप से उनका उचित विरोध।
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