Monday, April 12, 2021

बिना Vaccines के Vaccination festival | India exported 41% Corona Vaccines | Tika Utsav

 बिना Vaccines के Vaccination festival India exported 41% vaccines while most of the Indian states are facing shortage of Corona vaccine doses. Many states are lacking the stock of coronavirus but indian government has exported almost 41% total doses of Covid vaccine. हमारे उत्सवधर्मी देश भारत में एक नए उत्सव की तैयारियाँ चल रही हैं। चुनाव उत्सव लगभग ख़त्म होने को हैं और नया उत्सव आने को है। ये उत्सव है - टीका उत्सव। क्रिएटिव नाम और इवेंट मैनेजमेंट की दक्षता के बल पर सरकार फिर से सुर्खियाँ बनाएगी। हालाँकि अब ये बात लगभग सब जान चुके हैं कि कोरोना के ख़तरे को कम करने के लिए इवेंट नहीं बल्कि तैयारियों की ज़रूरत है। न तो ताली थाली बजाने से और न ही दिया जलाने से कोरोना भाग पाया। न तो रामदेव का कोरोनिल और न ही प्रशासनिक अधिकारी का गंगाजल इसके ख़तरे को कम कर पाया। कोरोना के बारे में विशेषज्ञ राय भी हर बार ग़लत ही साबित हुए। कोरोना गर्मी में कम होगा, ठंड में कम हो जाएगा, वैक्सीन लगने के बाद नहीं होगा, एक बार संक्रमित होने के बाद नहीं होगा, युवाओं को ख़तरा नहीं होगा जैसी तमाम बातें झूठी साबित हुईं है। दो गज दूरी-मास्क है ज़रूरी को सबके कानों में डाल देने वाले अमिताभ कोरोना से नहीं बच पाए तो इम्युनिटी बूस्टर च्यवनप्राश का विज्ञापन करने वाले अक्षय कुमार भी कोरोना संक्रमित हुए थे। नेताओं, अभिनेताओं, सेलीब्रिटीज़ की एक लंबी क़तार कोरोना की ज़द में आई। इसका मतलब क्या है? मतलब ये है कि बेहतरीन से बेहतरीन लाइफ़स्टाइल भी आपको कोरोना के ख़तरे से बचा नहीं सकता। स्पष्ट है कि कोरोना से लड़ने के तमाम फॉर्म्यूले नाकाफ़ी साबित हुए हैं। लोगों का दोबारा संक्रमित होना ये साबित करते है कि कोरोना के ख़तरे को मिनीमाइज़ किया जा सकता है, कम नहीं। ऐसी स्थिति में सरकार की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। लोगों के बीच पैनिक क्रिएट न हो, ज़रूरी चीज़ों की उपलब्धता बाधित न हो, ऐसे कदम न उठाएँ जाएँ जिससे कोरोना के साथ-साथ लोग अन्य दिक्कतों में भी फँस जाएँ। पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन का लागू करना, मार्च के महीने तक ज़रूरी मेडिकल इक्विपमेंट्स का निर्यात करना, वैज्ञानिक और तकनीकी आधार पर कोरोना से लड़ने की कोशिश की जगह संवेदनाओं और इवेंट्स का सहारा लेना, एक समूह विशेष को दोषी साबित कर देने की कोशिश करना, और धार्मिक आयोजनों के ख़िलाफ़ सख़्त न हो पाना ऐसे ही कदम था। दुर्भाग्य ये है कि साल बीत जाने के बाद भी ऐसे कदमों में कोई कमी नहीं आई है। पिछले साल मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की कोशिशें कोरोना से लड़ने की तैयारियों पर भारी पड़ी तो इस साल पाँच राज्यों के चुनाव कोरोना से ज़्यादा महत्वपूर्ण रहे। पिछले साल तबलीगी जमात को दोषी बनाया गया तो इस बार मास्क न लगाने वालों के साथ अपराधियों जैसा सलूक हो रहा है। लोगों के बीच लॉकडाउन लगाए जाने का ख़ॉौफ फैला हुआ है, जिस कारण अफ़रा तफ़री में रेलगाड़ियों में भीड़ बढ़ गई है। पिछले साल कोरोना के दौरान कहीं कहीं पर दबे-छिपे धार्मिक आयोजन हुए तो इस बार हरिद्वार कुंभ ज़ोरों-शोरों से चल रहा है। पिछले साल संक्रमण के उफान में आने से पूर्व तक मेडिकल इक्विपमेंट्स का निर्यात हुआ तो इस साल वैक्सीन्स का निर्यात खूब हो रहा है। भारत ने वैक्सीन के कुल डोज़ेज का 59 फ़ीसदी देश के अंदर प्रयोग किया तो 41 फीसदी का निर्यात कर दिया। विदेश मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक़ वैक्सीन मैत्री के तहत भारत ने लगभग साढ़े 6 करोड़ टीकों का निर्यात किया है। 1.04 करोड़ टीके अनुदान के तौर पर, 3.57 करोड़ टीके व्यापरिक आधार पर और 1.82 करोड़ टीके संयुक्त राष्ट्र के कोवैक्स इनीशिएटिव के तहत निर्यात किए गए हैं। विश्व के लगभग 84 देशों ने भारत द्वारा निर्मित टीके प्राप्त किए हैं। विश्व के अन्य देशों की भारत के उपर यह निर्भरता इस एक तथ्य से स्पष्ट होती है।

 


 

 इन हालात के बीच यह जानना ज़रूरी है कि महाराष्ट्र जहाँ फिलाहल भारत के कुल सक्रिय कोरोना केसेज के 65 प्रतिशत मामले हैं, में टीके की भारी कमी है। TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई ज़िलों में टकाकरण, टीके की अनुपलब्धता के कारण बंद हो गई है। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल में भी टीके के डोजेज समाप्त होने के कगार पर हैं। दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि राज्य सरकार औऱ केंद्र सरकार को जहाँ सहयोग के साथ काम करना चाहिए था, वहाँ आपसी मतभेद की स्थिति खड़ी हो गई है। आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। इससे भी अधिक गंभीर स्थिति ये है कि कोरोना के मामले सार्वकालिक सर्वोच्च स्तर पर पहुँच रहे हैं और एक बार फिर अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी दिख रही है। निजी अस्पताल आपदा में अवसर तलाश चुके हैं। सरकार इवेंटबाज़ी से बाज़ नहीं आ रही। लोगों में विश्वास पैदा नहीं किया जा रहा है। अगर ख़तरे का हल न निकला तो इस बार समस्या और भी अधिक भयावह और क्रूर हो सकती है। #CoronaVaccine #TikaUtsav

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